UPI ने किया लेन-देन आसान, लेकिन Easy Payment से बढ़ गए खर्चे भी... कभी-कभी अकाउंट हो जाता है साफ!
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UPI के जरिए पेमेंट के तरीके से लेकर खर्च की आदत में आए बदलाव को लेकर IIT Delhi में असिस्टेंट प्रोफेसर ध्रुव कुमार ने अपने दो छात्रों के साथ सर्वे किया. इसमें 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 276 लोगों को इसमें शामिल किया गया, जो कि विभिन्न आयु वर्ग और बिजनेस सेक्टर से थे.
भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी UPI का दुनिया में डंका है. इसने हमारे पेमेंट करने के तरीके में बड़ा बदलाव किया है, इसके साथ ही खर्च करने का पैटर्न भी चेंज हो गया है. आज लोग कैश जेब में लेकर चलना लगभग भूल गए हैं. लेकिन यूपीआई पेमेंट का दायरा बढ़ने के दो अलग-अलग पहलू सामने आए हैं. एक ओर जहां इसका उपयोग लोगों का खर्च बढ़ाने वाला साबित हो रहा है, तो वहीं दूसरी ओर एक वर्ग ऐसा भी है, जो UPI Payment के जरिए बचत करने में कामयाब हो रहा है. आईआईटी दिल्ली के एक सर्वे में (IIT Delhi Survey) ये तस्वीर पूरी तरह से साफ हो गई है.
76% लोगों ने माना UPI ने बढ़ाया खर्चा IIT Delhi द्वारा UPI Payment के फायदे और नुकसान को लेकर एक बड़ा सर्वे किया गया. इसमें इस बात की पुष्टि हुई है कि यूपीआई ने हमें जरूरत से ज्यादा खर्च करा रहा है. इस सर्वेक्षण में शामिल 276 लोगों में से ऐसे उत्तरदाताओं की तादाद 74 फीसदी रही, जिनका मानना है कि वे यूपीआई के कारण अधिक खर्च कर रहे हैं. आज किसी दुकान पर चाय पीना हो, नारियल पानी खरीदना हो, रेस्तरां में खाना खाना हो या फिर घर के लिए किराने का सामान खरीदना हो, हर ओर यूपीआई पेमेंट की सुविधा आसानी से मिल जाती है. ऐसे में लोग कैश लेकर चलने को बिल्कुल भी अहमियत नहीं दे रहे हैं और यही खर्च में बढ़ोतरी का बड़ा कारण निकलकर सामने आया है. यूपीआई यूजर्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
जेब में नकदीको लेकर ये राय सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि नकदी जेब में लेकर जब हम बाजार में खरीदारी करते हैं, तो वास्तविक नकदी हमें इसके लिए सचेत करती है कि हम कितना खर्च कर रहे हैं. लोगों ने कहा कि हाथ में नकदी होने से, यह लगातार याद रहता है कि मुझे खर्च को लेकर कितना सतर्क रहना चाहिए. यूपीआई से आराम बढ़ गया है, उनका कहना है कि पहले जेब में भरा हुआ बटुआ एक आराम था और अब तो बटुआ ही बैंक अकाउंट हो गया है और खास बात ये कि इसमें हमेशा स्टॉक रहता है, मतलब आराम कभी खत्म नहीं होता है. उत्तरदाताओं का कहना है कि UPI पर 2500 का भुगतान करने की तुलना में 5x500 के नोटों का कैश पेमेंट करते समय लोग ज्यादा सोचते हैं.
क्रेडिट कार्ड से ज्यादा यूपीआई की पहुंच यूपीआई से पहले से लोग क्रेडिट कार्ड जैसी प्लास्टिक मनी का इस्तेमाल दशकों से कर रहे हैं, लेकिन UPI इन Credit Cards से अलग है, क्योंकि एक तो इसमें कोई ब्याज नहीं लिया जाता है. इसके अलावा यूपीआई की पहुंच क्रेडिट कार्ड की तुलना में कहीं ज्यादा हो चुकी है. मोबाइल-टू-बैंक ट्रांसफर ने पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) मशीन की जरूरत को भी लगभग खत्म कर दिया है, जिसके जरिए आप क्रेडिट-या डेबिट कार्ड के जरिए पेमेंट कर सकते हैं.
95% से ज्यादा ने माना पेमेंट का बेहतर तरीका आईआईआईटी दिल्ली में असिस्टेंट प्रोफेसर ध्रुव कुमार और छात्रों हर्षल देव और राज गुप्ता यूपीआई के जरिए वास्तव में लोगों के खर्च करने की आदतों में बदलाव की हकीकत जानने के लिए यह सर्वे किया. उन्होंने Google Form का इस्तेमाल करते हुए 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 276 लोगों को इसमें शामिल किया, जो कि विभिन्न आयु वर्ग और बिजनेस सेक्टर से थे. प्रोफेसर ध्रुव कुमार ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में बताया कि 74.2 फीसदी उत्तरदाताओं ने UPI को अपनाने के बाद बढ़े हुए खर्च का अनुभव स्वीकार किया. इस बीच 91.5 फीसदी उत्तरदाता यूपीआई अनुभव से संतुष्ट दिखे, तो वहीं 95.2% ने पेमेंट के लिए यूपीआई को सबसे अधिक सुविधाजनक करार दिया.
सीधे बैंक खातों में पैसा पहुंचने से बचत हालांकि, 2016 में लॉन्च किए गए यूपीआई के दूसरे पहलू की बात करें, तो इसके बढ़ते हुए उपयोग ने एक वर्ग को बचत करने में भी मदद की है. रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे-जैसे यूपीआई ट्रांसफर से नकदी लोगों के के बैंकों तक पहुंच रही है, भारतीयों का एक वर्ग बचत कर रहा है. इनमें ठेले पर नारियल पानी या चाय बेचने वालों से लेकर लोकल दुकानदार शामिल हैं, जिनका 90 फीसदी तक पैसा अब यूपीआई के माध्यम से सीधे बैंक खातों में पहुंच रहा है.
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