
UNSC में आतंकी संगठन TRF पर एक्शन की होगी मांग, आतंकी हमले का सबूत देगा भारत
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22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकी संगठन TRF (The Resistance Front) के खिलाफ निर्णायक कदम उठाते हुए आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति के समक्ष पुख्ता सबूतों के साथ अपना केस पेश करने का निर्णय लिया है.
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकी संगठन TRF (The Resistance Front) के खिलाफ निर्णायक कदम उठाते हुए आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति के समक्ष पुख्ता सबूतों के साथ अपना केस पेश करने का निर्णय लिया है.
सूत्रों के अनुसार इस सिलसिले में भारत ने एक विशेष प्रतिनिधिमंडल को न्यूयॉर्क भेजा है, जो 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम, UNOCT (UN Office of Counter-Terrorism) और CTED (Counter-Terrorism Executive Directorate) से मुलाकात करेगा. इन मुलाकातों में TRF की गतिविधियों, पाकिस्तान से जुड़े उसके लिंक और हाल के आतंकी हमलों में उसकी संलिप्तता से जुड़े ठोस सबूत साझा किए जाएंगे.
भारत इस बैठक के माध्यम से TRF को संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादी सूची में शामिल कराने की दिशा में प्रयास कर रहा है. ये कदम ऐसे समय उठाया गया है जब कश्मीर में हालिया हमलों ने एक बार फिर आतंकी नेटवर्क की सक्रियता को उजागर कर दिया है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से फोन पर बातचीत की है और हालिया दक्षिण एशियाई संकट के दौरान संयुक्त राष्ट्र की राजनयिक सक्रियता की सराहना की है. शहबाज शरीफ ने X पर एक पोस्ट में कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 के तहत आत्मरक्षा का अधिकार प्रयोग किया, लेकिन इसके बावजूद वह सीजफायर समझौते का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति के व्यापक हित में यह रुख अपनाए हुए है.
शहबाज़ शरीफ ने कहा कि मैंने महासचिव गुटेरेस को उनकी कूटनीतिक कोशिशों के लिए धन्यवाद दिया, जिससे हालिया संकट को टालने में मदद मिली. हमने आत्मरक्षा का अधिकार जरूर इस्तेमाल किया, लेकिन पाकिस्तान संघर्षविराम समझौते का सम्मान करता रहेगा. बीते दो हफ्तों में दुनिया ने देखा कि पाकिस्तान ने कितनी जिम्मेदारी और संयम से काम लिया. हम अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे.

चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन बयानों को प्रमुखता दी, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया है. पुतिन ने कहा कि रूस को दोनों देशों के आपसी रिश्तों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं. चीन ने पुतिन की भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह नतीजों पर नजर रखे हुए है.

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आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

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