Tiger अभी जिंदा है! 15 गांव, 20 हजार लोग, 7 साल में 38 मौतें... पीलीभीत के जंगलों में जारी है आदमखोर की तलाश
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पीलीभीत टाइगर रिजर्व के इर्द-गिर्द बसे इन गांवों के लोग इन दिनों खौफ के साये में जी रहे हैं. लोग ना तो दिन में अपना काम-काज निपटा सकते हैं और ना ही रात को घरों से बाहर निकल सकते हैं. पता नहीं कोई खेत में काम कर रहा हो और कब पीछे से मौत आ जाए.
Mission Tiger: कुदरत ने इंसानों के लिए बस्तियां दी और जानवरों के लिए जंगल. जब ये दोनों अपनी हदों में रहते हैं, तब तक तो सब ठीक रहता है. लेकिन जैसे ही इनमें से कोई अपनी सीमा लांघता है, चारों तरफ खौफ पसर जाता है. पीलीभीत टाइगर रिजर्व के इर्द-गिर्द बसे हजारों लोग भी इन दिनों ऐसे ही खौफ में जी रहे हैं. पुलिस और प्रशासन भी लाचार नजर आ रहा है. आइए आपको बताते हैं, इसी खौफ की खौफनाक कहानी.
खौफ के साए में जीने को मजबूर हजारों लोग कभी लोग डर के मारे पेड़ों पर जा चढ़ते हैं. तो कहीं पुलिस और ग्राम प्रधान माइक से लोगों को दूर हटने की हिदायत देते हैं. कहीं ट्रैंकुलाइजर गन यानी नशीली गोली से हालात पर काबू पाने की कोशिश चल रही है. तो कहीं पिंजरानुमा ट्रैक्टर वनकर्मियों का सहारा बने हैं. और कहीं इंसान के पुराने दोस्तों में से एक यानी हाथी इंसानों का सहारा दे रहे हैं. और इन सबके पीछे है, वही शय. जिसके चलते उतर प्रदेश के पीलीभीत जिले के 15 गांवों के करीब 20 हजार लोगों की आबादी बेचैन हो गई है. वहां रहने वाले लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन हराम हो चुका है. जी हां, वो है टाइगर.
काबू नहीं आ रहा टाइगर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के इर्द-गिर्द बसे इन गांवों के लोग इन दिनों ऐसे ही खौफ के साये में जी रहे हैं. लोग ना तो दिन में अपना काम-काज निपटा सकते हैं और ना ही रात को घरों से बाहर निकल सकते हैं. पता नहीं कोई खेत में काम कर रहा हो और पीछे से बाघ उसे उठा ले जाए. हां, वन विभाग के कर्मचारियों को देख कर लोगों का हौसला थोड़ा जरूर बढता है. तमाशबीनों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है. लेकिन फिर जैसे ही ऑपरेशन टाइगर पूरा होता है, पूरे के पूरे इलाके में खामोशी पसर जाती है. पिछले कुछ दिनों से अलग-अलग गावों में लगातार यही खेल चल रहा है, लेकिन टाइगर है कि काबू नहीं आ रहा.
रिहायशी इलाकों में टाइगर की एंट्री असल में पीलीभीत के ये गांव पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बिल्कुल करीब बसे हैं. अब इसे बाघों की बढ़ती आबादी का असर कहें या बाघों के इलाके में इंसानों की दखलअंदाजी का नतीजा. पिछले करीब महीने भर से बाघों ने रिहायशी इलाकों में एंट्री मारने की ऐसी शुरुआत की है कि मवेशियों से लेकर इंसानों तक बाघों का निवाला बनाने लगे हैं. ऐसे में इंसानों की बस्ती में खलबली तो लाजिमी है. लेकिन इससे पहले कि अलग-अलग गांवों में मची खलबली के बीच वन विभाग के इस ऑपरेशन टाइगर का एक एक सच आपको बताएं, आइए जल्दी से आपको उन लोगों के पहचान बता दें, जो बाघों का शिकार बन कर मौत के मुंह में समा गए.
28 जून 2023 लालता प्रसाद, गांव रानीगंज
16 अगस्त 2023 राम मूर्ति, गांव रानीगंज
जम्मू के रियासी जिला अस्पताल में आतंकी हमले के बाल बच्चे भर्ती हैं. इन मासूम बच्चों को देखकर किसी का भी कलेजा फट सकता है. आतंकवादियों ने जो बर्बरता की है, उसके प्रमाण आप देख सकते हैं. श्रद्धालुओं ने जब आतंकवादी हमले की कहानी सुनाई, तो दिल दहल गया. आप उन आतंकवादियों की बर्बरता का अंदाजा नहीं लगा सकते.