Shravasti Assembly Seat: श्रावस्ती में न तो कोई फैक्ट्री है न रेल, जानें आम लोगों के मुद्दे
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Shravasti Assembly Seat profile: पिछले कई दशकों से अलग-अलग पार्टियों के विधायक यहां से चुने जाते रहे हैं लेकिन जनता की समस्याओं का कुछ खास समाधान नहीं हुआ है. हालांकि बसपा सरकार में एक हवाईअड्डे का जरूर निर्माण हुआ लेकिन अभी तक हवाई अड्डा भी अपने अस्तित्व में नहीं आ पाया है.
श्रावस्ती भारत-नेपाल की सीमा और पड़ोसी जिला बहराइच से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा जिला है. जिले की पहचान बौद्ध तपोस्थली के रूप में है. जिले का गठन 22 मई 1997 को हुआ था. 13 जनवरी 2004 को शासन ने जिले का अस्तित्व समाप्त कर दिया था जिसके बाद दोबारा जून 2004 में एक बार फिर श्रावस्ती जिला के रूप में अस्तित्व में आ गया. जिले में 289 भिनगा और 290 श्रावस्ती क्रमशः दो विधानसभाएं है. दोनों विधानसभा सीटों पर अलग-अलग मुद्दे भी हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में 290 विधानसभा श्रावस्ती सीट पर बीजेपी के राम फेरन पांडेय तो 289 सदर विधानसभा भिंनगा सीट पर बसपा के असलम रायनी ने जीत हासिल की थी.
करीब सवा सौ गज के एक छोटे से मकान में यह अस्पताल चल रहा था. इस मकान की स्थिति ऐसी है कि वह किसी भी वक्त गिर सकता है. अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर ऑक्सीजन के सिलेंडर बिखरे मिले. इनमें से कुछ सिलेंडर के परखचे उड़े हुए थे, क्योंकि आग लगने के बाद इनमें विस्फोट हुआ था अस्पताल में लगी आग को भयावह रूप देने में इन ऑक्सीजन सिलेंडर ने भी मदद की.
लोकसभा चुनाव के आखिरी फेज में प्रचार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आध्यात्मिक यात्रा पर जा रहे हैं. इस बार वे कन्याकुमारी में आध्यात्मिक प्रवास पर हैं. पीएम मोदी 30 मई से 1 जून तक कन्याकुमारी में ध्यान लगाएंगे. स्वामी विवेकानन्द ने भी यहीं तप किया था. पीएम ने 2019 में केदारनाथ, 2014 में शिवाजी के प्रतापगढ़ में ध्यान लगाया था.