
MP का करोड़पति सिपाही: कैश आते ही सोने-चांदी की ईंटें बनवा लेता था सौरभ शर्मा! जानिए क्यों?
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सोने और चांदी जितनी में खरीदी जाती है, आगे चलकर उससे ज्यादा में ही बिकती है. अगर चांदी या सोना बार (ईंट) की शक्ल में हो तो उसपर मेकिंग चार्ज भी नहीं लगता और यही वजह है कि सौरभ के घर से ज्वेलरी से ज्यादा चांदी मिली है और वो भी ईंटों के रूप में जिसपर लेबर चार्ज भी नहीं देना होता.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आरटीओ के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा के घर और दफ्तर से मिली ज्वेलरी और चांदी की ईंटों के पीछे लोकायुक्त को हैरान कर देने वाली जानकारी मिली है. लोकायुक्त सूत्रों की मानें तो सौरभ नगदी की बजाय सोना और चांदी पर ज्यादा भरोसा करता था और कैश को ज्यादातर सोने या चांदी में बदल देता था. इसके पीछे की वजह थी इन दोनों धातुओं पर निवेश के बदले मिलने वाला रिटर्न.
दरअसल, सोने और चांदी जितनी में खरीदी जाती है, आगे चलकर उससे ज्यादा में ही बिकती है. अगर चांदी या सोना बार (ईंट) की शक्ल में हो तो उसपर मेकिंग चार्ज भी नहीं लगता और यही वजह है कि सौरभ के घर से ज्वेलरी से ज्यादा चांदी मिली है और वो भी ईंटों के रूप में जिसपर लेबर चार्ज भी नहीं देना होता.
नोटों के खराब होने का डर? सूत्रों के मुताबिक, सौरभ शर्मा के घर और दफ्तर से जो दस्तावेज मिले हैं, उनमें करोड़ों का लेनदेन है. ज़ाहिर है कि सौरभ के पास कैश इनफ्लो बहुत ज्यादा होता था. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में नोटों को रखने के साथ सौरभ को शायद उसके खराब होने का भी डर रहता था. उसे डर था कि लंबे समय तक नोट रखे गए तो दीमक या चूहे उसे कुतर सकते हैं, इसलिए वो जितना जल्दी हो सकता था, बचे हुए कैश से हार्ड मेटल जैसे चांदी या सोने की ईंटें खरीद लेता था.
हालांकि, आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि लोकायुक्त ने नहीं की है. लेकिन छापे के दौरान लोकायुक्त को इतनी बड़ी संख्या में चांदी की ईंटों के मिलने पर इसका तर्क यह बताया गया था.
234 Kg चांदी और 2.87 करोड़ कैश बरामद
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