
Milad-Un-Nabi 2025: क्यों खास है ईद-ए-मिलाद उन नबी? जानें इसका महत्व और इतिहास
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बारावफात इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल में मनाया जाता है. ये दिन पैगंबर मोहम्मद की पैदाइश के दिन के तौर पर याद किया जाता है. बारावफात भारत, मलेशिया, श्रीलंका, समेत सभी मुस्लिम आबादी वाले देशों में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है.
आज देशभर में मुसलमान बारावफात मना रहे हैं. बरावफात को मिलाद-उन-नबी भी कहते हैं. ये दिन पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद की यौमे पैदाइश (जन्मदिन) के तौर पर मनाया जाता है. बारावफात इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल में मनाया जाता है. हालांकि, पैगंबर मुहम्मद के जन्म की सही तारीख मुस्लिम समुदाय के सुन्नी और शियाया संप्रदायों के अनुसार अलग-अलग है. सुन्नी रबी-अल-अव्वल के 12वें दिन को पैगंबर मुहम्मद की जन्मतिथि मानते हैं. जबकि शिया रबी-अल-अव्वल के 17वें दिन उनकी जन्मतिथि मानते हैं. "मिलाद-उन-नबी" का शाब्दिक अर्थ है- पैगंबर का जन्म. हालांकि, इस दिन को मौलिद के नाम से भी मनाया जाता है. मौलिद अरबी मूल का शब्द है, जिसका अर्थ है जन्म देना.
पैगंबर मुहम्मद की कहानी
पैगंबर मुहम्मद का जन्म लगभग 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था. पैंगबर मोहम्मद इस्लाम के संस्थापक थे. पैगंबर मोहम्मद को एकेश्वरवाद (यानी ईश्वर एक है) का अंतिम पैगंबर माना जाता है, जो आदम, ईसा और अब्राहम जैसे अन्य पैगंबरों के बाद आए. पैगंबर मुहम्मद छह साल की उम्र में अनाथ हो गए थे, मोहम्मद साहब का पालन-पोषण उनके दादा और फिर चाचा अबू तालिब ने किया था. जब वह 40 साल के थे, तब उन्हें हीरा गुफा में फरिश्ता जिब्रील अलैहिस्सलाम से अल्लाह का पहला संदेश मिला. पैगंबर मोहम्मद को जो संदेश जिब्रील अलैहिस्सलाम से मिला, वही कुरान की पहली आयत है. यह घटना पैगंबर के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी. इसके बाद उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अल्लाह का संदेश फैलाने में बिताया.
शुरुआत में मुहम्मद के मानने वाले बहुत कम थे. उन्हें मक्का के बहुदेववादियों (अनेक देवताओं में विश्वास करने वाले) से कड़े विरोध का सामना करना पड़ा. 615 ईस्वी में पैगम्बर मोहम्मद और उनके मानने वालों को मक्का के लोगों से बहुत तकलीफ और जुल्म सहना पड़ा. इस वजह से पैगंबर मोहम्मद ने अपने कुछ साथियों को सुरक्षित जगह भेज दिया. पैगंबर मोहम्मद के मानने वाले अक्सुम साम्राज्य चले गए. वहां उस ईसाई हकूमत थी. यह इलाका आज के उत्तरी इथियोपिया और इरिट्रिया में आता है.
सात साल बाद 622 ई. में, पैगंबर मुहम्मद और उनके मानने वाले मक्का से 300 किलोमीटर उत्तर में मदीना शहर चले गए. कथित तौर पर हत्या के डर से पैगंबर मुहम्मद के मक्का से मदीना पलायन की. इस विशेष घटना को "हिजरा" कहा जाता है. यह इस्लामी हिजरी कैलेंडर की शुरुआत मानी जाती है.
पैगंबर मुहम्मद ने मदीना पहुंचने के बाद एक "मदीना चार्टर" तैयार किया, जिसे मदीना का संविधान भी कहा जाता है. ये चार्टर अलग-अलग कबीलों को एकजुट करता था. 630 ईस्वी में मुहम्मद ने एक 10,000 की सेना के साथ मक्का पर चढ़ाई की. इस जंग में पैगंबर मोहम्मद और उनकी फौज की जीत हुई. इसके बाद मक्का में बहुसंख्यक आबादी ने इस्लाम धर्म अपना लिया.

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