ITBP में नौकरी के लिए फर्जी दस्तावेज किए गए जारी, CBI ने शुरू की जांच
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इंडियन तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) में नौकरी के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ. फर्जी नियुक्ति पत्र देकर मोटी रकम वसूली गई. इस मामले की शिकायत आने के बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
इंडियन तिब्बत बॉर्डर पुलिस में नौकरी के नाम पर युवाओं से मोटी रकम वसूली गई. जब इसे लेकर शिकायतें सामने आईं, तो अधिकारियों ने मामले में संज्ञान लिया. आईटीबीपी की शिकायत पर केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, साल 2015-16 से लगातार शिकायतें मिल रही थीं, कि लोगों को आईटीबीपी में नौकरी के नाम पर फर्जी नियुक्ति पत्र जारी किए जा रहे थे. ये नियुक्ति पत्र उन असफल आवेदनकर्ताओं को भी जारी किये गए थे, जो परीक्षा में फेल हो गए थे. बता दें कि 2014-15 में आईटीबीपी में कांस्टेबल और ड्राइवर के पद पर जो भर्तियां की जानी थीं, उनमें फर्जी नियुक्ति पत्र दे दिए गए. इन पत्रों पर मोबाइल नंबर किसी भी आइटीबीपी अफसर के नहीं थे. इतना ही नहीं असफल आवेदनकर्ताओं से फर्जी नियुक्ति पत्र के आधार पर ट्रेनिंग चार्जेज के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही थी.नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
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