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INDIA गठबंधन: 450 सीटों पर 'रनरअप फॉर्मूले' से कांग्रेस या क्षेत्रीय दल कौन फायदे में, किसे होगा नुकसान?
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विपक्षी पार्टियों में प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी के साथ राज्यों में भी अलग जंग छिड़ी हुई है. सीट बंटवारे को लेकर रनरअप फॉर्मूले की भी अटकलें हैं. रनरअप फॉर्मूले से सीट बंटवारा होता है तो कांग्रेस या क्षेत्रीय दल, किसे ज्यादा फायदा होगा और इस फॉर्मूले के पेच क्या हैं?
इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी I.N.D.I.A. गठबंधन के नेताओं का आज मायानगरी मुंबई में जमावड़ा लगा है. 28 पार्टियों के 62 नेता महाराष्ट्र की राजधानी में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 2024 चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने से कैसे रोकें? इस बात पर मंथन करेंगे. विपक्ष की इस मीटिंग से पहले प्रधानमंत्री पद के लिए कई दावेदार सामने आ गए तो वहीं राज्यों में भी अलग जंग छिड़ी हुई है.
विपक्षी गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा? इसे लेकर राजनीतिक दलों में अपने-अपने नेता का नाम आगे करने की मानो होड़ मची हो. मुंबई बैठक से ठीक एक दिन पहले की ही बात करें तो प्रधानमंत्री पद के लिए तीन दावेदारों के नाम सामने आ गए. आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता ने पीएम पद के लिए अरविंद केजरीवाल का नाम आगे कर दिया. इसके कुछ ही घंटे बाद सपा प्रवक्ता जूही सिंह ने अखिलेश तो शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने उद्धव ठाकरे को प्रधानमंत्री पद के योग्य बताया.
इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम भी पीएम पद के लिए सामने आ चुका है. नीतीश कुमार की दावेदारी के भी चर्चे रहे हैं. हालांकि, बेंगलुरु बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने साफ कहा था कि कांग्रेस की सत्ता या पीएम पद में कोई दिलचस्पी नहीं है. इसके बाद टीएमसी ने प्रधानमंत्री पद के लिए ममता बनर्जी का नाम आगे कर दिया था. विपक्षी गठबंधन के लिए पीएम फेस की रार सुलझाना बड़ी चुनौती होगा.
गठबंधन के घटक दलों में चल रही अलग जंग
इन सबके बीच ये भी बहस छिड़ गई है कि सीट शेयरिंग का मसला कैसे सुलझेगा? दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मुंबई बैठक से पहले सीट शेयरिंग को लेकर एक बयान आया था. विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की मुहिम की अगुवाई करने वाले नीतीश कुमार ने संयोजक पद के लिए अपनी दावेदारी की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि मुझे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए. संयोजक कोई और बनेगा. हम तो बस ज्यादा से ज्यादा पार्टियों को एकजुट करना चाहते हैं. उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि मुंबई की बैठक में सीट बंटवारे को लेकर जरूर चर्चा होगी.
नीतीश के इस बयान के बाद खबरें आईं कि विपक्षी दलों ने ऐसी 450 सीटें चिह्नित कर ली हैं जहां साझा उम्मीदवार उतारने की तैयारी है. इनमें ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की लोकसभा सीटें शामिल नहीं हैं. इन तीनों राज्यों की प्रमुख पार्टियों की बात करें तो ओडिशा की सत्ताधारी नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (बीजेडी), तेलंगाना से केसीआर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस (पहले टीआरएस) और आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस या विपक्षी तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) में से कोई भी पार्टी विपक्षी गठबंधन में शामिल नहीं है.
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