
IC 814 Review: बेस्ट एक्टर्स के शानदार काम से बंधा रहेगा ध्यान, बिना कोई पक्ष लिए रियल घटनाओं को दिखता है शो
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अनुभव ने अपने पिछले प्रोजेक्ट्स 'मुल्क', 'आर्टिकल 15', 'अनेक' और 'भीड़' में जो टॉपिक चुने, उनपर किरदारों के जरिए एक तगड़ी सोशल कमेंट्री भी दी. मगर इस बार उन्होंने अपने टॉपिक पर कोई क्लोजिंग कमेंट्री करने का लालच छोड़ा है. 'IC 814' एक शो के तौर पर घटनाओं को न्यूट्रल और ऑथेंटिक होकर दिखाता हुआ फील तो जरूर होता है.
'तो, हम जीत गए...' एक भारतीय अधिकारी कहता है. तभी उसका एक साथी सवाल दागता है- 'क्या सच में?' तभी टीम का एक और साथी कहता है, 'लेकिन हम लड़े तो.' फिर से वही सवाल आता है- 'क्या सच में?' और आतंकियों से नेगोशिएट करने पहुंचे चार भारतीय ऑफिशियल, कांधार हवाई अड्डे की छत पर खड़े, एक इंडियन प्लेन को उड़ान भरते देख रहे हैं.
इस प्लेन में वो यात्री और फ्लाइट क्रू है जो थोड़ी देर पहले तक इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइट नंबर IC 814 के साथ आतंकियों के कब्जे में थे. चारों ऑफिशियल आसमान में धीरे-धीरे गायब होते प्लेन को इस तरह देख रहे हैं जैसे वो इतिहास है और उन्हें चिंता है कि ये इतिहास उन्हें कैसे जज करेगा? अनुभव सिन्हा की नेटफ्लिक्स सीरीज 'IC 814: द कांधार हाईजैक' आपको इसी कश्मकश के साथ छोड़ती है.
बिना कमेंट्री के सभी पक्ष रखता शो अनुभव ने अपने पिछले प्रोजेक्ट्स 'मुल्क', 'आर्टिकल 15', 'अनेक' और 'भीड़' में जो टॉपिक चुने, उनपर किरदारों के जरिए एक तगड़ी सोशल कमेंट्री भी दी. मगर इस बार उन्होंने अपने टॉपिक पर कोई क्लोजिंग कमेंट्री करने का लालच छोड़ा है. जबकि जनता की स्मृति में धीरे-धीरे ये बात घर करने लगी है कि 1999 में, काठमांडू से दिल्ली के लिए निकली इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइट IC 814 के हाईजैक के बाद इंडियन डिप्लोमेसी ने जो कुछ किया, वो एक राजनीतिक फेलियर था.
अनुभव ने IC 814 के कैप्टन देवी शरण और सृंजॉय चौधरी की किताब 'फ्लाइट इनटू फियर' को अपने शो का आधार बनाया है. फैक्ट्स के लिए उन्होंने संजय शर्मा की किताब 'IA's Terror Trail' का भी रेफरेंस दिया है. और वो दर्शक को ये इम्प्रेशन देते हैं कि उन्होंने इस बड़ी घटना को पूरे ऑथेंटिक तरीके से पेश करने वाला माहौल अपने शो में बनाया है. ये कितना ऑथेंटिक है, कितना नहीं, ये तो एक्सपर्ट्स ही बता सकते हैं. मगर एक शो के तौर पर घटनाओं को न्यूट्रल और ऑथेंटिक होकर दिखाता हुआ फील तो जरूर होता है.
अनुभव का शो उस सिचुएशन की टेंशन और गंभीरता पूरी तरह महसूस करवाता है, जब भारतीय डिप्लोमेसी पर एक तरफ अपने 180 नागरिकों की जान बचाने की नैतिक जिम्मेदारी थी. और दूसरी तरफ, देश के सैनिकों द्वारा जान की बाजी लगाकर पकड़े गए आतंकवादियों को छोड़कर, देश की सुरक्षा के लिए एक पोटेंशियल रिस्क तैयार कर लेने का डर. 'IC 814' इसी तराजू को एक पक्ष से दूसरे पक्ष में झूलते और आखिरकार, नागरिकों को बचाने की तरफ झुकते हुए दिखाता है.
दमदार एक्टर्स के साथ ने बनाया माहौल 'IC 814' में अनुभव को एक ड्रीम कास्ट का साथ मिला है. नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, कुमुद मिश्रा, मनोज पाहवा, आदित्य श्रीवास्तव, अरविंद स्वामी और दिब्येंदु भट्टाचार्य जैसे एक्टिंग के गुरु माने जाने वाले एक्टर्स के साथ विजय वर्मा और पत्रलेखा. ये एक ऐसी कास्ट है जो किसी भी बॉलीवुड डायरेक्टर का सपना है. और ये सभी अपने किरदारों को इस तरह निभाते हैं कि त्रिशांत श्रीवास्तव और एड्रियन लेवी का की लिखी कहानी में वजन बहुत बढ़ जाता है.













