Guru Tegh Bahadur Jayanti 2022: गुरु तेगबहादुर की शहादत और जीवन की याद दिलाता है गुरुद्वारा शीशगंज साहिब
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Guru Tegh Bahadur Prakash Parv: गुरु तेगबहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. जहां पर उन्होंने अपने प्राण त्यागे थे उस जगह गुरुद्वारा शीशगंज साहिब बनाया गया था. आइए जानते हैं गुरुद्वारा शीशगंज साहिब से जुड़े कुछ तथ्य.
गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व गुरुवार 21 अप्रैल 2022 को मनाया जा रहा है. गुरु तेग बहादुर गुरु नानक के सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए जाने जाते हैं. गुरु तेग बहादुर प्रकाश पर्व उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करने के लिए मनाया जाता है. गुरु साहिब एक बेहतरीन कवि और विद्वान थे, जिन्होंने सिख धर्म की पवित्र पुस्तक श्री गुरु ग्रंथ साहिब में बहुत योगदान दिया था.
गुरुद्वारा शीशगंज साहिब
मुगल शासन के समय में हिंदुओं का काफी उत्पीड़न होता था. मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में लोगों को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया गया था. उस समय उन्होंने गैर-मुसलमानों के इस्लाम में जबरन धर्मांतरण का विरोध किया था. इसके बाद 1675 में दिल्ली में गुरु तेग बहादुर का इस्लाम को अपनाने से इनकार करने के लिए मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर सिर काटकर उनकी हत्या कर दी गई थी. जहां गुरु तेग बहादुर जी ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, उस जगह गुरुद्वारा शीशगंज साहिब (Gurdwara Sis Ganj Sahib) बनाया गया. ये गुरुद्वारा दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध इलाके चांदनी चौक में स्थित है.
गुरुद्वारा शीशगंज साहिब का इतिहास जहां पर गुरु तेगबहादुर जी ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, वहां पर शीशगंज साहिब गुरुद्वारा और जहां उनका दाह संस्कार हुआ था, उस जगह को गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब नाम के सिख पवित्र स्थानों में बदल दिया गया था. गुरुद्वारा शीशगंज साहिब में गुरु तेगबहादुर की शहादत और उनके जीवन की कई कथाएं मौजूद हैं.
11 मार्च 1783 में जब सिख मिलिट्री के लीडर दिल्ली आए, तब उन्होंने दिवान-ए-आम पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद मुहल बागशाह शाह आलम द्वितीय ने गुरुद्वारा बनाने के लिए रकम दी और 8 महीने में गुरुद्वारा बनकर तैयार हो गया. इसके बाद मुस्लिम और सिख में इस बात का लंबे समय तक विवाद रहा कि उस स्थान पर किसका अधिकार है. ब्रिटिश सरकार ने उस समय सिखों को इस पर अधिकार दिया. इसके बाद 1930 में शीशगंज साहिब को पुर्नव्यवस्थित किया गया.
गुरु तेग बहादुर जी के बारे में खास बातें
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