
Ground Report: हमले का सायरन, सिर्फ एक मिनट का समय और जिंदगी या मौत... अटैक के बीच जीवन जीने के आदी हो गए हैं लोग
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शेल्टर में मौजूद लोगों में कुछ तो बच्चों के साथ थे, जो इस भयावह स्थिति में सहमे हुए थे. माता-पिता अपने बच्चों को दिलासा देने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन डर की लकीरें हर किसी के चेहरे पर साफ़ झलक रही थीं. एक और शख्स ने हिदायती लहजे में कहा "इस हमले के दौरान हमारी प्राथमिकता सुरक्षित स्थान पर पहुंचना है. हम जानते हैं कि अगर हम शेल्टर तक नहीं पहुंचे, तो हमारा सामना सीधे रॉकेट से हो सकता है,"
बीते साल 7 अक्तूबर को जबसे हमास ने इजरायल पर हमला बोला, तबसे ही इजरायल की लगातार अपने दुश्मनों के साथ जंग जारी है. आलम ये है कि इस जंग से गाजा अब भूतिया शहर में तब्दील हो चुका है, लेबनान के भी कई इलाके खंडहर में बदल जुके हैं, तो वहीं इजरायल के हाइफा शहर में भी लोग डर के साये में जी रहे हैं. हाइफा में क्या हाल हैं और लोगों ने सायरन को कैसे अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा मान लिया है, इस पर डालते हैं एक नजर.
सायरन बजते ही अफरा-तफरी आजतक हाइफा में लोगों के बीच रहकर लगातार युद्ध से जुड़े बड़े अपडेट दे रहा है. इसी बीच इज़रायल के हाइफ़ा शहर में सोमवार को अचानक हवाई हमले का सायरन बजते ही चारों ओर अफरातफरी मच गई. लोग अपने-अपने घरों और होटलों से निकलकर तेजी से बम शेल्टरों की ओर दौड़ पड़े. शहर के हर कोने में खतरे की घंटी बज रही थी, और लोग जान बचाने के लिए जितनी जल्दी हो सके, बम शेल्टरों में शरण लेने के लिए भाग रहे थे.
सायरन सुनते ही शेल्टर मे भागना जरूरी टीम के मुताबिक, 'हम एक होटल के बम शेल्टर में पहुंचे, जहां पहले से कई परिवारों ने शरण ले रखी थी. इनमें से कई लोग स्थानीय थे और उन्होंने स्थिति की गंभीरता को समझाया. एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, "हवाई हमले के सायरन से रॉकेट के टकराने तक का समय एक मिनट से भी कम होता है. यही वजह है कि सायरन सुनते ही शेल्टर में दौड़ना बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस निर्णय में जरा भी देरी जीवन को मौत में बदल सकती है और या फिर कम से कम आपके अंग भंग कर आपको विकलांग बनी सकती है.'
डर से मुरझा गए थे बच्चे, बड़े भी घबराए शेल्टर में मौजूद लोगों में कुछ तो बच्चों के साथ थे, जो इस भयावह स्थिति में सहमे हुए थे. माता-पिता अपने बच्चों को दिलासा देने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन डर की लकीरें हर किसी के चेहरे पर साफ़ झलक रही थीं. एक और शख्स ने हिदायती लहजे में कहा "इस हमले के दौरान हमारी प्राथमिकता सुरक्षित स्थान पर पहुंचना है. हम जानते हैं कि अगर हम शेल्टर तक नहीं पहुंचे, तो हमारा सामना सीधे रॉकेट से हो सकता है,"
ऐसा आपात स्थिति के आदी हो गए हैं हाइफा के लोग शहर में ऐसी स्थिति पहले भी कई बार देखी जा चुकी है, और इसलिए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है. हाइफ़ा के निवासी और पर्यटक दोनों ही अब इस प्रकार की आपात स्थितियों के आदी हो चुके हैं और काफी हद तक तेज भी. अधिकतर सार्वजनिक और निजी स्थानों पर बम शेल्टर की सुविधाएं हैं, और लोग अक्सर यह जानने की कोशिश करते हैं कि वे किस स्थान पर शरण ले सकते हैं. सायरन बजते ही लोग एक तेज दौड़ लगाते देखे जा सकते हैं जो कि देखकर लगता है कि जैसे ये उनकी आदत में शुमार हो.
सायरन बजते ही अलर्ट हो जाते हैं लोग सायरन बजते ही उसके बाद का एक-एक क्षण यहां बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है. जैसे ही सायरन बजा, लोग तुरंत अपनी सुरक्षा के लिए शेल्टरों में पहुंचते हैं. कुछ ही मिनटों में शेल्टर पूरी तरह भर चुके थे. बाहर स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल था, लेकिन अंदर हर कोई स्थिति की गंभीरता को समझ रहा था. बम शेल्टर के अंदर एक अजीब सी खामोशी थी, जिसमें सिर्फ सायरन की आवाज और लोगों की तेज़ धड़कनें सुनाई दे रही थीं. इस तरह के हवाई हमले और खतरे यहां के लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं. हालांकि, हर बार यह डर बना रहता है कि अगला हमला कितना बड़ा हो सकता है और किस तरह की तबाही ला सकता है.

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