Explainer: जैविक हथियार क्या होते हैं, यूक्रेन के पास कितने हैं Biological Weapon?
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Russia-Ukraine War: रूस ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई के दौरान दावा किया है कि वहां खतरनाक वायरस स्टोर किए गए हैं, जिन्हें अमेरिका हथियारों के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है. अमेरिका के पास 30 देशों में 336 जैविक अनुसंधान लैब हैं, जिनमें 26 लैब अकेले यूक्रेन में हैं.
Russia-Ukraine War: यूक्रेन युद्ध में अब नौबत Biological War यानी जैविक हमले तक पहुंच चुकी है. रूस का आरोप है कि अमेरिका की मदद से यूक्रेन में बड़ी संख्या में जैविक हथियार बनाए गए हैं, जिनका इस्तेमाल यूक्रेन रूस के खिलाफ कर सकता है. ऐसे में आज ये समझना जरूरी हो जाता है कि जैविक हथियार क्या होते हैं और इनका हमला कितना खतरनाक होता है. 'Biological War' ये शब्द आज आपको नया लग रहा होगा, लेकिन इसका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. सबसे पहले समझिए कि जैविक हथियार क्या होते हैं?
आसान भाषा में कहा जाए तो ऐसे हथियार जिनमें विस्फोटक नहीं बल्कि कई तरह के वायरस, बैक्टीरिया, फंगस और ज़हरीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है. जैविक हमले से लोग गंभीर रूप से बीमार होने लगते हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है. इसके अलावा शरीर पर इस हमले के बहुत भयानक असर होते हैं. कई मामलों में लोग विकलांग और मानसिक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. जैविक हथियार कम समय में बहुत बड़े क्षेत्र में तबाही मचा सकते हैं.
चीन का कोरोना वायरस (Corona Virus) इसका सबसे ताज़ा उदाहरण है. चीन पर यह आरोप हैं कि उसने वुहान लैब से कोरोना के वायरस फैलाए जिससे दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत हुई और अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई जिसका फायदा चीन को मिला है.
इसके अलावा चूहों से होने वाली बीमारी प्लेग (Plague) जैविक हमले का दूसरा उदाहरण है. ऐसा माना जाता है कि जर्मनी, अमेरिका, रूस और चीन समेत दुनिया के 17 देश जैविक हथियार बना चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी ने इस बात को नहीं माना है कि उनके पास जैविक हथियार हैं.
- पुराने ज़माने में युद्ध के दौरान दुश्मन के इलाके के तालाबों और कुओं में ज़हर मिलाने की घटना आपने सुनी होंगी. लेकिन पहली बार जैविक हमले की बात छठी शताब्दी से आती है जब मेसोपोटामिया के अस्सूर साम्राज्य के सैनिकों ने दुश्मन इलाके के कुओं में एक ज़हरीला फंगस डाल दिया था, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी.
- यूरोपीय इतिहास में तुर्की और मंगोल साम्राज्य ने जैविक हथियारों का इस्तेमाल किया था. इसके लिए 1347 में मंगोलियाई सेना ने बीमार जानवरों को दुश्मन इलाके में तालाब और कुओं में फिकवा दिया था जिससे प्लेग महामारी फैल गई थी. इसे इतिहास ब्लैक डेथ (Black Death) के नाम से जाना जाता है. इससे 4 साल के अंदर यूरोप में ढाई करोड़ लोगों की मौत हुई थी.
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