Doomsday: लौट रहा है प्रलय... शुरुआत नदियों और झीलों से होगी, वैज्ञानिकों की नई चेतावनी
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Doomsday On Earth: वैश्विक गर्मी बढ़ रही है. साथ ही खतरनाक बैक्टीरिया और जहरीले शैवालों की मात्रा भी बढ़ रही है. ये दुनियाभर की नदियों और झीलों को खत्म कर रहे हैं. अगला प्रलय यहीं से शुरू होगा. ऐसा पहले भी हो चुका है, इसलिए वैज्ञानिकों ने तत्काल जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग रोकने की गुहार लगाई है... नहीं तो प्रलय तय है.
पिछले 400 करोड़ सालों में धरती पर कई बार प्रलय आए हैं. कई बार आते-आते रह गए. प्रकृति ने कई बार सामूहिक विनाश किया है. अगले विनाश की शुरुआत संभवतः हो भी चुकी है. वो दुनिया भर की नदियों और झीलों से. क्योंकि ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन की वजह से खतरनाक बैक्टीरिया और जहरीले शैवाल (Toxic Algal Bloom) तेजी से बढ़ रहे हैं. ये ही शुरू करेंगे धरती पर नया प्रलय. जब ये अन्य जीवों का सामूहिक विनाश करेंगे.
सबसे भयावह प्रलय की स्थिति 25.2 करोड़ साल पहले हुई थी. तब परमियन काल (Permian Period) का अंत हो रहा था. उस समय नकारात्मक स्थितियां बनी थीं, उससे उस समय के जीव बर्दाश्त नहीं कर पाए थे. चारों तरफ जंगली आग, सूखा, समुद्र गर्म हो गए थे, खतरनाक बैक्टीरिया और जहरीले शैवालों की मात्रा बढ़ गई थी. नदियों, झीलों और अन्य जल स्रोत जानलेवा हो गए थे. ऑक्सीजन खत्म हो रहा था. जीव मारे जा रहे थे. बेहद कम जीव इस विकट परिस्थिति में बच पाए थे.
पुराने सबूतों पर ध्यान नहीं दे रहा है इंसान, भुगतेगा इस बार
परमियन काल के अंत में आए प्रलय में धरती पर सतह पर रहने वाली 70 फीसदी प्रजातियां खत्म हो गई थीं. समुद्र से तो 80 फीसदी प्रजातियां नष्ट हो चुकी थीं. इसलिए वैज्ञानिक इसे द ग्रेट डाइंग (The Great Dying) कहते हैं. इसके सबूत ऑस्ट्रेलिया में खोजे गए हैं. ऐतिहासिक तौर पर इंसानों की हरकतों को देखा जाए तो वह इन चीजों पर ध्यान नहीं दे रहा है. लगातार जीवाश्म ईंधन निकाल रहा है. लेकिन जीवाश्म ईंधन धरती के जिन परतों से निकलते हैं, वहीं से प्रलय के सबूत भी मिल रहे हैं.
पुराने प्रलय के स्तर पर पहुंच रहा है वैश्विक गर्मी का स्तर
हाल ही में हुई कई स्टडीज में इस बात का खुलासा हुआ है कि वैश्विक गर्मी यानी ग्लोबल वॉर्मिंग का स्तर लगातार बढ़ रहा है. पुराने प्रलय के सबूतों को खोजने वाले वैज्ञानिकों की टीम में शामिल कनेक्टीकट यूनिवर्सिटी के सेडिमेंटोलॉजिस्ट क्रिस्टोफर फील्डिंग ने कहा कि वैश्विक तापमान परमियन काल के बराबर पहुंच रहा है. दुनिया की कई नदियों और झीलों में खतरनाक बैक्टीरिया और जहरीले शैवालों की मात्रा लगातार बढ़ रही है. ये वैसी ही स्थिति है जैसे 25.2 करोड़ साल पहले बनी थी. इनसे नदियां और झीलें सांस लेने लायक नहीं बचेंगी. कई प्रजातियों का सामूहिक विनाश होगा. एक प्रजाति के खत्म होने का असर दूसरे पर पड़ेगा. इस तरह धरती का इकोसिस्टम बिगड़ेगा. और ये प्रलय की शुरुआत होगी.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.