
DNA में मिलावट से चीन बना रहा 'सुपर सोल्जर', इतने ताकतवर कि केमिकल वॉर भी होगा बेअसर
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भारत-चीन तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा. दुनिया के कई देशों के साथ चीन का सीमा-विवाद रहा. सबसे उलझने के लिए पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने भारी-भरकम आर्मी भी बना रखी है. खबरें ये भी हैं कि चीन अपने सैनिकों के genes से छेड़छाड़ कर रहा है ताकि वे पूरी तरह से क्रूर हो जाएं. ये सुपर सोल्जर्स होंगे, जो जंग में बिना रहम मारकाट मचाएंगे.
सैनिकों तक पहुंचने से पहले ये समझते हैं कि जीन एडिटिंग क्या है. तकनीक के जरिए DNA में बदलाव होता है ताकि कुछ खास चीजें जोड़ी या हटाई जा सकें. कई सारे जीवों पर ये प्रयोग करके नई नस्ल तैयार करने की कोशिश हो रही है, जो जरूरत के मुताबिक काम आ सकें. पौधों-सब्जियों की भी ऐसी किस्में बन रही हैं, जो बीमार न हों और जिनसे पोषण भी ज्यादा मिल सके.
कई ताकतवर देश दूसरों को कटघरे में रख रहे बीते 2 दशक से कई देश भी एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कि वो अपने सैनिकों के साथ भी जीन एडिटिंग कर रहा है. दो साल पहले अमेरिकी इंटेलिजेंस विभाग ने कहा कि चीन ये करना शुरू भी कर चुका. यही बात ब्रिटेन ने भी दोहराई कि सुपर पावर बनने की इच्छा के चलते चीन सैनिकों की बायोलॉजी बदल रहा है. रूस के बारे में कहा जा रहा है कि वो सबसे खुफिया ढंग से काम कर रहा है ताकि एकाएक दुनिया को डरा दे.
इंटरनेशनल मीडिया में चर्चा वॉल स्ट्रीट जर्नल में तत्कालीन इंटेलिजेंस चीफ जॉन रेटक्लिफ ने बताया कि चीन किस तरह की तकनीक अपना रहा है. बकौल विभाग, वहां जिस टेक्निक का इस्तेमाल हो रहा है, उसे क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पेलिंड्रोमिक रिपीट्स कहते हैं. इसमें DNA के कुछ हिस्से को एडिट किया जाता है और उसकी जगह नेचुरल DNA को काम करने दिया जाता है. जीनोम एडिटिंग की कई तकनीकों में ये सबसे कम खर्चीली और फायदेमंद मानी जा रही है.
सैनिक इंसान से रोबोट में बदल जाएंगे! सबसे खतरनाक बात ये है कि अपने ही सैनिकों के शरीर में बदलाव करते हुए चीन उन्हें अंधेरे में रखता है. सैनिक नहीं जानते हैं कि वे कब सामान्य इंसान से बिना भावना वाले रोबोट में बदल जाएंगे. साइंस जर्नल नेचर बायोटेक्नोलॉजी में इस बारे में रिपोर्ट आ चुकी है, जो बताती है कि ऐसे सैनिक युद्ध के मैदान में पहुंचने पर जो कत्लेआम मचाएंगे, सो तो है, लेकिन आम जिंदगी में भी वे उतने ही बेरहम हो जाएंगे.
चीन ने बनाए डिजाइनर बेबी अब तक सब्जी-फल या जानवरों की स्वस्थ नस्लें बनाने के लिए इसका इस्तेमाल होता आया, लेकिन अब ह्यूमन जीन एडिटिंग भी इस तरह से हो रही है. कम से कम कथित तौर पर चीन ये कर भी चुका. इसकी शुरुआत शिशुओं में एडिटिंग से हुई. नवंबर 2018 में चीन के एक वैज्ञानिक ने माना कि उसने दुनिया के पहले डिजाइनर बेबीज बनाने में कामयाबी पाई है. चीन की सर्दन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में हुए इस प्रयोग में दो जुड़वा बच्चियों का DNA एडिट कर दिया गया.
न भूख लगेगी, न नींद आएगी खबर आने के बाद खूब शोर मचा और शोध में शामिल लोगों को सजा मिल गई. लेकिन तब भी जीन एडिटिंग की बात जब-तब उठती ही रही. चीन को जाने भी दें तब भी कई दूसरे बड़े देशों पर सैनिकों के जेनेटिक मॉडिफिकेशन का आरोप लग चुका है ताकि ऐसे सैनिक बने जो पूरी तरह से क्रूर हों और चोट-जख्म लगने पर भी मारकाट करते रहें. नींद और भूख खत्म करना भी एक बड़ा उद्देश्य है, जिससे राशन खत्म होने या युद्ध चलने पर सैनिक हार न मान जाएं.

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