CrPC Section 191: अभियुक्त के आवेदन पर केस ट्रांसफर करना बताती है धारा 191
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सीआरपीसी की धारा 191 के तहत अभियुक्त के आवेदन पर अन्तरण का प्रावधान किया गया है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 191 इस बारे में क्या प्रावधान करती है?
Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में न्यायलय (Court) और पुलिस (Police) की कार्य प्रणाली के लिए कई तरह के कानूनी प्रावधान (Legal provision) किए गए हैं. इसी प्रकार सीआरपीसी की धारा 191 के तहत अभियुक्त के आवेदन पर अन्तरण का प्रावधान किया गया है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 191 इस बारे में क्या प्रावधान करती है?
सीआरपीसी की धारा 191 (CrPC Section 191) दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 191 में बताया गया है कि किसी अभियुक्त के आवेदन पर भी उसका मामला दूसरे मजिस्ट्रेट के समक्ष अन्तरण किया जा सकता है. CrPC की धारा 191 के मुताबिक, जब मजिस्ट्रेट (Magistrate) किसी अपराध का संज्ञान (Cognizance of offense) धारा 190 की उपधारा (1) के खण्ड (ग) के अधीन करता है तब अभियुक्त (Accused) को, कोई साक्ष्य लेने से पहले, इत्तिला (Information) दी जाएगी कि वह मामले की किसी अन्य मजिस्ट्रेट से जांच या विचारण (inquiry or trial) कराने का हकदार है और यदि अभियुक्त, या यदि एक से अधिक अभियुक्त हैं तो उनमें से कोई, संज्ञान करने वाले मजिस्ट्रेट के समक्ष आगे कार्यवाही किए जाने पर आपत्ति (objection) करता है तो मामला उस अन्य मजिस्ट्रेट को अंतरित (transferred) कर दिया जाएगा जो मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate) द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट (Specified for) किया जाएगा.
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क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.
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