Covid-19: कुछ ही दिनों में तीसरी लहर की पीक पर होगा भारत? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
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एक्सपर्ट का कहना है कि जैसे-जैसे पॉजिटिविटी रेट बढ़ता जाएगा, वैसे-वैसे कोरोना संक्रमित मरीजों के मामले भी बढ़ते जाएंगे. आने वाले समय में इस पॉजिटिविटी रेट से भी डबल पॉजिटिव रेट हमें देखना पड़े.
कोरोना वायरस के मामलों में फिर एक बार बड़ा उछाल देखने को मिला है. देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 2,64,202 नए मरीज सामने आए हैं. यह आंकड़ा कल यानी गुरुवार के मुकाबले 6.7 फीसदी ज्यादा है. भारत में अभी कोरोना की संक्रमण दर 14.78 फीसदी हो गई है. फिलहाल देश में नए वैरिएंट यानी ओमिक्रॉन के मामले 5,753 हैं. ऐसे में देशभर में कोरोना की तीसरी लहर में मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है. कई छोटे-बड़े शहरों में पॉजिटिविटी रेट लगातार बढ़ रहा है. दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर सुभाष गिरी का कहना है कि पॉजिटिविटी रेट से लगातार कोरोना से संक्रमित मरीजों के मामले भी बढ़ेंगे. पॉजिटिविटी रेट कई सारे फैक्टर्स पर डिपेंड करता है. पहला तो यह कि आपने टेस्ट कितने किए हैं, दूसरा यह कि आपके पॉजिटिव सैंपल्स के मामले कितने गंभीर हैं और साथ ही साथ लोगों की स्किल कैसी है.
भाजपा प्रवक्ता ने वायनाड सीट खाली करने के राहुल गांधी के निर्णय को निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के साथ 'विश्वासघात' करार दिया और आरोप लगाया कि इस निर्णय से यह स्पष्ट हो जाता है कि गांधी परिवार की 'राजनीतिक विरासत' बेटे के साथ रहेगी. उन्होंने आरोप लगाया, 'इससे पता चलता है कि बेटे और बेटी के बीच पहले कौन है.'
सबसे पहली याचिका 1 जून को NEET उम्मीदवार शिवांगी मिश्रा और नौ अन्य ने दायर की थी. इसे आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ विवेक पांडे ने दाखिल किया था. याचिका में कथित पेपर लीक के आधार पर पुराने परीक्षा परिणाम को रद्द कर नए सिरे से परीक्षा कराने की मांग की गई है. कोचिंग संस्थान फिजिक्सवाला के संस्थापक अलख पांडेय ने एक और जनहित याचिका दायर की है.
मुंबई की उत्तर पश्चिम सीट की मतगणना के दौरान अनियमितता के आरोप लगे हैं. दरअसल उत्तर पश्चिम मुंबई सीट पर उद्धव ठाकरे के उम्मीदवार मात्र 48 वोटों से हारे हैं. उनका आरोप है कि गिनती में धांधली हो गई. ठाकरे की पार्टी की शिकायत पर EC ने मुकदमा भी दर्ज करा दिया और अब उसकी जांच जारी है. लेकिन उद्धव गुट अब कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहा है.
राहुल गांधी जब 2019 में गांधी परिवार के गढ़ रहे अमेठी में बीजेपी के स्मृति ईरानी से हार गए थे, तब वायनाड ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुनकर भारत की संसद में भेजा था. फिर राहुल ने मुश्किल की घड़ी में अपना साथ देने वाले वायनाड को छोड़कर रायबरेली को क्यों चुना? दरअसल, यह निर्णय पार्टी की रणनीति का संकेत देती है.