'BJP को सपोर्ट किया तो कहा गया इस्लामोफोबिक', लंदन में इंडियन छात्र के साथ बदसलूकी
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लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) के एक भारतीय छात्र ने आरोप लगाया है कि छात्र संघ चुनावों के लिए प्रचार करते समय उन्हें निशाना बनाया गया और 'फासीवादी' कहा गया. सत्यम नाम का छात्र ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग पर खालिस्तानी समर्थकों द्वारा किए गए हमले के दौरान चर्चा में आया था.
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) के एक भारतीय छात्र सत्यम सुराणा ने आरोप लगाया है कि इस साल के छात्र संघ चुनावों के लिए प्रचार करते समय उन्हें निशाना बनाया गया और 'फासीवादी' कहा गया. सत्यम पिछले साल तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने यूनाइटेड किंगडम में भारतीय उच्चायोग पर खालिस्तानी समर्थकों द्वारा किए गए हमले के दौरान जमीन पर गिरा तिरंगा उठा लिया था.
'विरोधियों ने मुझे भाजपा से जोड़ दिया' पुणे में जन्मे सत्यम ने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए आरोप लगाया कि छात्र संघ चुनाव के लिए मतदान शुरू होने से कुछ घंटे पहले उनके खिलाफ अभियान शुरू किया गया था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके विरोधियों ने उन्हें भाजपा से जोड़ दिया और उनका बहिष्कार करने के लिए उन्हें 'फासीवादी' कहने लगे. सत्यम ने कहा कि लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में चुनावों की घोषणा इस साल फरवरी और मार्च की शुरुआत में की गई थी, जिसके बाद उन्होंने महासचिव पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया.
उन्होंने बताया कि 14 से 15 मार्च तक हमने देखा कि मेरे पोस्टर फाड़े जा रहे थे. हमने अधिकारियों से शिकायत की. 16 तारीख को जब हमने अपने पोस्टर बदले तो हमने देखा कि कुछ पोस्टर खराब हो गए थे. मेरे चेहरे पर क्रॉस के निशान थे. उस पर लिखा गया था 'सत्यम के अलावा कोई और.'
सत्यम ने कहा कि 17 तारीख की दोपहर में LSE के सभी ग्रुप में मैसेज थे, जिसमें दावा किया गया था, 'यह सत्यम सुराणा एक भाजपा समर्थक है, वह एक फासीवादी व्यक्ति है, एक इस्लामोफोब, ट्रांसफोब है.' ये मैसेज भारत सरकार के लिए बेहद देशद्रोही और विवादास्पद थे.
भाजपा सरकार की प्रशंसा करने पर निशाने पर लिया गया सत्यम ने आरोप लगाया कि कट्टरपंथी तत्वों ने एक्स पर उनके पोस्ट का भी स्क्रीनशॉट लिया, जहां उन्होंने केवल भाजपा सरकार की प्रशंसा की थी, लेकिन उनके पोस्ट का इस्तेमाल उन्हें 'फासीवादी' कहने के दुर्भावनापूर्ण एजेंडे के साथ किया गया था. छात्र संघ चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र के बारे में बोलते हुए सत्यम ने कहा कि इसमें कैंपस में वास्तविक मुद्दों को उठाने की बात कही गई है.
सत्यम ने कहा, अपनी पूरी टीम के साथ मैं पूरे कैंपस में गया. हम सभी विभागों में जा रहे थे और अपनी नीतियों को समझा रहे थे. मेरे पास एक बहुत अच्छी तरह से लिखा और अच्छी तरह से तैयार किया गया घोषणापत्र था. मेरा घोषणापत्र बिल्कुल भी राजनीतिक नहीं था. इसमें कहा गया था कि LSE में किस तरह सुधार की जरूरत है. हमें समर्थन मिल रहा था और लोग कह रहे थे कि वे मुझे वोट देंगे.
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