Anant chaturdashi 2022: कब है अनंत चतुर्दशी? जानें क्या है गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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Anant chaturdashi 2022 पौराणिक मान्यता के अनुसार अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी. यह भगवान विष्णु का दिन माना जाता है. ये व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है. इस दिन गणपति का विसर्जन भी किया जाता है.
Anant chaturdashi 2022: अनंत चतुर्दशी का व्रत भारत के कई हिस्सों में रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और पूजा के बाद बाजू पर अनंत भी बांधा जाता है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है. अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है. इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस पर्व का महत्व और बढ़ जाता है. इस दिन दस दिवसीय गणेशोत्सव का समापन होता है. माना जाता है कि महाभारत काल में इस व्रत की शुरुआत हुई थी. इस बार अनंत चतुर्दशी का व्रत 9 सितंबर, शुक्रवार को पड़ रहा है.
अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त (Subh muhurt of Anant Chaturdashi Puja 2022)
अनंत चतुर्दशी पर पूजा का मुहुर्त 9 सितंबर 2022 को सुबह 06.25 बजे से शाम 06:07 तक रहेगा. यानी पूजा के लिए पूरे 11 घंटे और 42 मिनट होंगे. वहीं अगर चतुर्दशी तिथि की बात की जाए तो वह 8 सितंबर को सुबह 9.02 से शुरू होगी और 9 सितंबर 2022 को शाम 6:07 बजे तक रहेगी. गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त (Subh muhurt of ganesh visharjan 2022) अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति बप्पा को विदाई भी दी जाएगी. अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी का विसर्जन शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का विसर्जन करने से पुण्य फल मिलता है. तो आइए अब इस दिन गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त भी जान लीजिए.
सुबह गणेश विसर्जन मुहूर्त: सुबह 6.03 मिनट से 10.44 तकदोपहर में गणेश विसर्जन दोपहर मुहूर्त: दोपहर 12.18 से 1. 52 मिनट तकशाम को गणेश विसर्जन मुहूर्त: शाम को 5.00 बजे से शाम 6. 31 बजे तक
अनंत चतुर्दशी पूजा की विधि (Method of Anant Chaturdashi Puja)
अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है. इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें. इसके बाद कलश पर भगवान विष्णु की तस्वीर भी लगाएं. एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र बनाएं, इसमें चौदह गांठें लगी होनी चाहिए. इस सूत्रो भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखें. अब भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की पूजा करें और 'अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।' मंत्र का जाप करें. इसके बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें. माना जाता है कि इस सूत्र को धारण करने से संकटों का नाश होता है.