AAP और कांग्रेस की डील में किसका फ़ायदा?
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AAP और कांग्रेस की डील में किसका फ़ायदा, AAP ने कांग्रेस के सामने क्या प्रस्ताव रखा है, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का क्या छिन जाएगा अल्पसंख्यक दर्ज़ा और बंगाल में क्यों बढ़ रहा है बाल विवाह? सुनिए 'आज का दिन' में.
सीट शेयरिंग पर कांग्रेस में वही चल रहा है जो खट्टा मीठा मूवी में अंशुमन के साथ चल रहा था, बुल्डोज़र ठीक करने में लगे हैं और अभी ठीक करके देता हूं- अभी ठीक करके देता हूं, बोले जा रहे हैं, लेकिन ठीक हो नहीं रहा. तमाम मीटिंग्स के बाद भी कुछ ठोस निष्कर्ष निकल कर आ नहीं रहा. कांग्रेस के साथ सबसे बड़ी मुसीबत आम आदमी पार्टी के साथ मोलभाव करना हो रहा है. जहां एक ओर दोनों पार्टियों की स्टेट यूनिट में तू तू मैं मैं चल रही है. वहीं सेंट्रल यूनिट बीच का रास्ता निकालने में लगी हुई है. कल दिल्ली में आप के नेता और कांग्रेस के गठबंधन कमेटी के नेता एक साथ बैठे थे. दोनों पार्टी के बीच चर्चा के दौरान पंजाब, गोवा, हरियाणा में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को लेकर भी ज्रिक हुआ है. कांग्रेस के सामने आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में तीन सीटें देने का प्रस्ताव रखा है, इस मीटिंग के बाद सीट शेयरिंग पर बात कितनी आगे पहुंची है, आप और कांग्रेस कहां-कहां एक साथ लड़ने वाली है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 7 जजों की पीठ आज से सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले में AMU बनाम डॉक्टर नरेश अग्रवाल व अन्य के बीच वाद चल रहा है. यूपीए की केंद्र सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2006 के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी. तब हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है. उसी को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी हाईकोर्ट के फैसले को अलग से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. साल 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार की ओर से एक लेटर में कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान है, इसलिए वो अपने हिसाब से एडमिशन प्रोसेस में बदलाव कर सकता है. इस पूरे केस के इतिहास और बारीकियों, इस मामले की सुनवाई 7 जजों की बेंच कर रही है, ऐसा क्यों है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें
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देश में प्रत्येक 5 में से एक लड़की और 6 में एक लड़का शादीशुदा है. भारत में चाइल्ड मैरिज को लेकर द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में पब्लिश रिसर्च रिपोर्ट में ये बात सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के सालों में चाइल्ड मैरिज की प्रथा को खत्म करने के लिए जारी प्रयासों में भी कमी आई है. रिसर्चर्स ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की 1993 से लेकर साल 2021 तक की पांच बार के सर्वे का डेटा खंगाला. इसमें पाया कि साल 2016 से लेकर 2021 के बीच कई राज्यों और यूनियन टेरिटरीज में बाल विवाह की प्रथा आम बात रही है. मणिपुर, पंजाब, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल सहित 6 राज्यों में 18 से कम उम्र की लड़कियों की शादी में इजाफ़ा हुआ है. वहीं, छत्तीसगढ़, गोवा, मणिपुर और पंजाब सहित आठ राज्यों में 21 साल से कम उम्र के लड़कों की शादी का ग्राफ़ ऊपर गया है. रिपोर्ट में ये बताया गया है कि पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों को चाइल्ड मैरिज रोकने की दिशा में काफी परेशानी उठानी पड़ी है, ऐसा क्यों हुआ बंगाल और बाकी राज्य क्यों पीछे रह गए और अन्य राज्य बेहतर काम कर रहे हैं, पॉलिसी लेवल पर किस तरह के बदलाव किए जाने चाहिए ताकि आने वाले सालों में बाल विवाह की संख्या घटे? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें
aajtak e-चुनाव के सर्वे में करीब सवा लाख लोगों ने हिस्सा लिया. इनमें से लगभग 73% लोगों ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को लगातार तीसरी बार सत्ता में देखने की इच्छा जताई जबकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक को लगभग 23% वोट मिले. करीब 4 फीसदी वोट अन्य को मिले. अगर इन वोटों को सीटों में बांट दिया जाए तो एनडीए को 397 सीटें मिलने का अनुमान है.