4 कानूनों का उल्लंघन, 3 धाराएं... चीफ सेक्रेटरी की वो रिपोर्ट जिसने सिसोदिया को शराब घोटाले में बना दिया आरोपी
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दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी. दिल्ली सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी लाने को लेकर माफिया राज खत्म करने का तर्क दिया था. जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने इस मामले में एलजी वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी के साथ ही डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का भी आरोप लगा था.
केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने रविवार को दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया है. दिल्ली सरकार की विवादित शराब नीति में कथित घोटाले के मामले में ये कार्रवाई की गई है. सीबीआई ने करीब 6 महीने की जांच के बाद इस मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया है. सिसोदिया के अलावा अब तक मामले में 9 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. लेकिन इस पूरे मामले की शुरुआत एलजी वीके सक्सेना के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट से हुई थी. आईए जानते हैं कि इस रिपोर्ट में क्या दावे थे और कैसे जांच के घेरे में मनीष सिसोदिया आ गए?
दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी. दिल्ली सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी लाने को लेकर माफिया राज खत्म करने का तर्क दिया था. ये भी दावा किया गया था कि इससे सरकार के राजस्व में भी इजाफा होगा. हालांकि, बीजेपी ने इस नीति का विरोध किया था. जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने इस मामले में एलजी वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी के साथ ही डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का भी आरोप लगा था.सीबीआई ने इन धाराओं में मामला किया दर्ज इसी रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर 22 जुलाई 2022 को सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. सीबीआई ने केस दर्ज कर कई ठिकानों पर छापेमारी भी की थी. इस मामले में कई गिरफ्तारियां भी हुईं. अब डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. सिसोदिया को आईपीसी (Indian Penal Code) की धारा 120-B (आपराधिक साजिश), 477-A (धोखाधड़ी करने का इरादा) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-7 के तहत गिरफ्तार किया गया है.
क्या था मुख्य सचिव की रिपोर्ट में?
8 जुलाई, 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव ने एक रिपोर्ट एलजी विनय सक्सेना को भेजी थी. इसमें नई शराब नीति में जीएनसीटीडी एक्ट 1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स (टीओबीआर) 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन बताया गया था.
मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, नई एक्साइज ड्यूटी में गड़बड़ी हुई है. नई एक्साइज पॉलिसी के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई. टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ किए गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नीति के जरिए कोरोना के बहाने लाइसेंस की फीस माफी की गई. रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया गया. आरोप है कि नई आबकारी नीति के तहत उठाए गए कदमों से राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है और यह नई नीति शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लाई गई. दिल्ली का एक्साइज विभाग मनीष सिसोदिया के अधीन है. ऐसे में उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए गए थे.
17 अगस्त 2022 को मामला हुआ था दर्ज
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