![15 मील की दूरी और 35,000 फीट ऊंचाई, दो विमानों की भयंकर टक्कर कैसे टली?](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202206/vaimaana-sixteen_nine.jpg)
15 मील की दूरी और 35,000 फीट ऊंचाई, दो विमानों की भयंकर टक्कर कैसे टली?
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श्रीलंका का एक विमान बड़े हादसे का शिकार होते-होते रह गया है. 35,000 फीट की ऊंचाई पर एक दूसरे विमान से उसकी टक्कर हो सकती थी. लेकिन पायलटों की सूझबूझ ने हादसे को टाल दिया.
श्रीलंका की एक फ्लाइट 35 हजार फीट की ऊंचाई पर भयंकर हादसे से बच गई. उस फ्लाइट की ब्रिटिश एयरवेज के एक विमान से सीधी टक्कर होने वाली थी, सिर्फ 15 मील की दूरी बची थी. लेकिन पायलटों की सूझबूझ की वजह से उस हादसे को टाल दिया गया और दोनों ही विमानों की अपने गंतव्य स्थान पर सुरक्षित लैंडिंग हुई.
जानकारी मिली है कि श्रीलंकन एयरलाइन की फ्लाइट UL 504 जून 13 को लंदन से कोलंबो जाने के लिए उड़ान भरी थी. उस विमान में तब 275 यात्री मौजूद थे. अपने सफर के दौरान विमान तुर्की के एयरस्पेस में भी दाखिल हुआ था. तब श्रीलंका के विमान को 33 हजार से 35 हजार फीट की ऊंचाई पर आने का निर्देश दिया गया. लेकिन विमान में मौजूद पायलटों ने पाया कि उनसे सिर्फ 15 मील की दूरी पर एक ब्रिटिश एयरवेज का विमान भी उड़ रहा था. उस समय उसकी ऊंचाई 35 हजार फीट थी. जैसे ही पायलटों को इसकी जानकारी मिली उन्होंने अपने विमान को और ऊपर ले जाने से मना कर दिया.
श्रीलंकन विमान में मौजूद पायलटों ने इसकी जानकारी अंकारा ट्रैफिक कंट्रोलर को दी थी. लेकिन ट्रैफिक कंट्रोलर ने दो बार कहा कि रास्ता साफ है और उन्हें अपने विमान को 35 हजार फीट की ऊंचाई पर ले लेना चाहिए. बाद में खुद कंट्रोलर ने ही एक और आदेश में श्रीलंकन पायलटों को बताया कि वे 35 हजार फीट की ऊंचाई पर ना जाएं क्योंकि उन्होंने वहां एक दूसरे विमान को डिटेक्ट किया है. कहा जा रहा है कि अगर श्रीलंका का विमान एयर कंट्रोलर की बात मान ज्यादा ऊंचाई पर उड़ान भरता तो ब्रिटिश एयरवेज के विमान से उसकी टक्कर को कोई नहीं टाल सकता था. लेकिन क्योंकि पायलटों ने समय रहते फैसला लिया, मुस्तैदी दिखाई, एक भयंकर हादसा टाल दिया गया.
जारी बयान में श्रीलंका की एयरलाइन ने अपने पायलटों की दिल खोलकर तारीफ की है. जोर देकर कहा गया है कि उन्हीं की वजह से सभी 275 यात्री सुरक्षित अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच पाए हैं. एयरलाइन ने विमान में अत्याधुनिक संचार और निगरानी प्रणाली को भी क्रेडिट दिया है क्योंकि उसकी वजह से समय रहते दूसरे विमान की जानकारी मिल गई थी.
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