1 अगस्त: असहयोग आंदोलन की शुरूआत का दिन, हिल गई थी अंग्रेजी शासन की बुनियाद
Zee News
फ़रवरी 1922 में किसानों के एक ग्रुप ने गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा में एक पुलिस थाने पर आक्रमण कर उसमें आग लगा दी. हिंसा की इस कार्यवाही से गांधी जी को यह आन्दोलन तत्काल वापस लेना पड़ा.
नई दिल्ली: अंग्रेज हुक्मरानों की बढ़ती ज्यादतियों का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी ने 1920 में एक अगस्त को असहयोग आंदोलन का आगाज किया था. आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में जाना छोड़ दिया. वकीलों ने अदालत में जाने से मना कर दिया. कई कस्बों और नगरों में मजदूर हड़ताल पर चले गए. शहरों से लेकर गांव देहात में इस आंदोलन का असर दिखाई देने लगा और सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद असहयोग आंदोलन से पहली बार अंग्रेजी राज की नींव हिल गई. कलकत्ता अधिवेशन में पास हुआ पास हुआ प्रस्ताव असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में 4 सितंबर 1920 को पास हुआ था. जो लोग भारत से उपनिवेशवाद को खत्म करना चाहते थे उनसे आग्रह किया गया कि वे स्कूलो, कॉलेजो और न्यायालय न जाएं और और नितिन सिन्हा भी शामिल थे. कर न चुकाएं. गांधी जी ने कहा कि अगर असहयोग का ठीक ढंग से पालन किया जाए तो भारत एक साल के अंदर स्वराज हासिल कर लेगा.More Related News