
हौद में भरी खीर-सब्जी, सीमेंट-कंक्रीट मिक्सर से बना मालपुओं का घोल; 2 लाख लोगों को करा दिया भोजन
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Cement-concrete mixer machine used for cooking: भगवान देवनारायण का 1111वां अवतरण महोत्सव देशभर में धूमधाम से मनाया गया. राजस्थान के भीलवाड़ा में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महोत्सव में शामिल हुए, तो वहीं मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में देवनारायण मंदिर पर विशाल भंडारा किया गया. इसमें 2 लाख श्रद्धालओं के लिए सीमेंट-कंक्रीट मिक्सर से प्रसाद बनाया गया और 250 से ज्यादा हलवाई लगे थे.
MP News: ग्वालियर जिला मुख्यालय से 41 किमी दूर दक्षिण की ओर चलने पर घाटीगांव के सिरसा गांव में शनिवार को काफी चहल-पहल थी. आगरा-मुंबई राजमार्ग (AB Road) के किनारे बसे इस स्थान पर बच्चे-बूढ़े-बड़ों की भारी भीड़ और उनकी गाड़ियों की कतारें ही कतारें लगी हुई थीं. दूर-दूर तक वातावरण सुगंधित था और घी की खुशबू आ रही थी. मौका था गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण जी के 1111वें अवतरण महोत्सव के उपलक्ष्य में हुए विशाल भंडारे का. इस भंडारे में बर्तनों की जगह सीमेंट-कांक्रीट मिक्सर से प्रसाद तैयार किया गया और ट्रैक्टर की ट्रॉलियों में भरकर श्रद्धालुओं को परोसा गया.
सिरसा गांव के विशाल परिसर में फैले भगवान देवनारायण मंदिर में इस खास अवसर पर पिछले सात दिन से भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा था. साथ ही कथा समापन के बाद हर शाम भंडारे का आयोजन हुआ. वहीं, अंतिम यानी सातवें दिन यह आयोजन काफी बड़े स्तर पर हुआ.
100 क्विंटल शक्कर और 500 क्विंटल आटा
भंडारे की व्यवस्था में सिरसा, महारामपुरा, घेंघोली, रेंहट समेत पड़ोसी गांवों को लगाया गया था. रेंहट निवासी ब्रजेश गुर्जर ने बताया कि सप्ताहभर प्रसाद में श्रद्धालुओं को मालपुए, खीर और आलू की सब्जी परोसी गई. इसके लिए तकरीबन हर रोज 30 क्विंटल शक्कर, 60 क्विंटल आलू, 20 क्विंटल चावल और 35 क्विंटल गेहूं के आटे समेत बड़ी मात्रा में घी की खपत हुई. इसके अलावा खीर में लगने वाला दूध आसपास के ग्रामीण मुहैया करवा रहे थे. वहीं, कथा के अंतिम दिन हुए भंडारे में 100 क्विंटल से ज्यादा शक्कर, आलू 100 क्विंटल, 60 क्विंटल चावल और 500 क्विंटल आटे की खपत हो गई.
कॉन्क्रीट मिक्सर और ट्रॉलियों का इस्तेमाल
इस अनोखे भंडारे में मालपुओं का घोल तैयार करने के लिए बिल्डिंग निर्माण में इस्तेमाल होने वाले सीमेंट-कॉन्क्रीट मिक्सर की मदद ली गई. साथ ही सब्जी और खीर को कड़ाहों से निकालकर बर्तनों की जगह ईंट-सीमेंट की बनीं हौद यानी टंकियों में स्टोर किया गया. इसके अलावा मालपुए के भी ढेर के ढेर लगा दिए गए.

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