हिंदुत्व और पीडीए पर कन्फ्यूज अखिलेश यादव साथियों की नाराजगी से भी बेफिक्र क्यों?
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समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की हाल की गतिविधियां इस तरह की हैं कि उनके कई साथी उनसे नाराज होते दिख रहे हैं. पर सवाल यह है कि नाराज साथियों को लेकर वो चिंता में भी नहीं दिख रहे हैं? आखिर क्या कारण हैं?
समाजवादी पार्टी की परेशानी घटने का नाम ही नहीं ले रही है. लोकसभा चुनाव ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहा है पार्टी के मुद्दों पर अखिलेश यादव शायद कन्फ्यूज होते जा रहे हैं. हिंदू धर्म के लिए लगातार अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य से अब दूरी बनाने की बात हो या शालिग्राम पूजन की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर डालना कुछ ऐसा ही है. ऐसा लग रहा है कि कहीं न कहीं हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर अखिलेश यादव या तो कन्फ्यूज हैं या अपने कोर वोटर्स को कन्फ्यूजन में रखना चाहते हैं. इसी तरह राज्यसभा चुनावों के लिए सलेक्ट किए कैंडिडेट्स के नाम से लगता है कि उन्हें शायद अपने पीडीए फार्मूले पर भी शक होने लगा है. ऐन चुनावों के मौके पर सहयोगी पार्टी अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल की नाराजगी या स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा हो, पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं माना जाएगा. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य, जिन्होंने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, उन्होंने दावा किया कि पार्टी के भीतर अन्य नेताओं द्वारा उन्हें कमजोर किया जा रहा था, जिन्होंने उनके बयानों को उनके 'व्यक्तिगत विचार' बताया.
1-शालिग्राम पूजा वाली तस्वीर
मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अखिलेश यादव के एक पोस्ट की खूब चर्चा थी. पब्लिक को अचानक शालिग्राम पूजा की वो तस्वीर याद आ गई जो राम मंदिर निर्माण के दौरान नेपाल से आई थी. अखिलेश यादव इस तस्वीर में शालिग्राम पत्थर की पूजा अर्चना कर रहे हैं. उनके ट्वीट में कहीं भी ये जानकारी नहीं थी कि ये कहां कि तस्वीर है. ये तथ्य क्या जानबूझकर छुपाया गया ? क्यों कि इसके भी मायने निकाले गए हैं. लोकसभा चुनाव के पहले आई इस तस्वीर को लोग अखिलेश के हिंदुत्व पॉलिसी से जोड़ने लगे.राम मंदिर उद्घाटन समारोह में न जाकर और विधानसभा में उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने से अखिलेश की छवि हिंदुत्व विरोधी की बन रही थी. क्या इस फोटो को ट्वीट कर अखिलेश फिर से सॉफ्ट हिंदुत्व की लाइन पकड़ रहे हैं? इस तरह के सवाल तो उठने ही थे. क्योंकि हिंदुत्व को बार-बार अपमानित कर रहे स्वामी प्रसाद मौर्य की बातों को उनकी व्यक्तिगत राय बताकर अखिलेश ने एक तरह से स्टैंड ले लिया है.
पत्नी डिंपल यादव के साथ उन्होंने सपा दफ्तर में शालीग्राम की पूजा अर्चना की. इस अवसर पर उनके साथ सपा नेता जया बच्चन और शिवपाल यादव भी मौजूद रहे. अखिलेश ने अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर शालीग्राम की पूजा का वीडियो भी शेयर किया है. उन्होंने लिखा है- 'श्री शालिग्राम भगवान का आगमन देश-प्रदेश के लिए मंगलकारी एवं जन-जन के लिए कल्याणकारी हो, इस पावन कामना के साथ हृदय से स्वागत!' दरअसल अखिलेश यादव इटावा लायन सफारी के पास केदारनाथ की तर्ज पर केदारेश्वर मंदिर बनवा रहे हैं. करीब 10 एकड़ में बन रहे इस मंदिर के लिए नेपाल से शालिग्राम शिला मंगाया गया है. इसी को लेकर नेपाल से लखनऊ शालिग्राम शिला पहुंची है. सोमवार को शालिग्राम शिला लखनऊ स्थित सपा दफ्तर पहुंची तो उसकी पूजा अर्चना की गई.
2- पल्लवी पटेल की नाराजगी कितनी जायज
समाजवादी पार्टी की सहयोगी पार्टी अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई है कि एसपी द्वारा नामांकित तीन में से दो उम्मीदवार पीडीए समुदायों से नहीं हैं. बुधवार को उन्होंने कहा कि यह निश्चित नहीं है कि उनकी पार्टी एसपी सहयोगी के रूप में बनी रहेगी. यानि उनका कहना ये है कि वो राज्यसभा कैंडिडेट के लिए सपा के उम्मीदवारों को वोट नहीं देने वाली हैं. समाजवादी पार्टी के लोगों का कहना है कि उनकी मां कृष्णा पटेल को उम्मीदवार नहीं बनाने के चलते पल्लवी पटेल नाराज हैं.
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