
सुपरपावर अमेरिका से पल्ला क्यों झाड़ रहा है सऊदी अरब?
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चीन की मध्यस्थता से जब सऊदी अरब और ईरान ने राजनयिक संबंध बहाल करने की घोषणा की तो दुनिया भर के भू-राजनीतिक विशेषज्ञ चौंक गए थे. ईरान और सऊदी अरब के बीच हुई सुलह और चीन के साथ सऊदी की बढ़ती नजदीकी अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है.
शीत युद्ध के दौरान एंटी-कम्यूनिस्ट खेमे का पक्षधर और फारस की खाड़ी में अमेरिका को मदद करने वाला देश सऊदी अरब वर्तमान में अपनी विदेश नीति में बदला-बदला सा नजर आ रहा है. पिछले कुछ महीनों के भीतर चीन, ईरान और रूस के साथ समझौते सऊदी अरब की विदेश नीति में बदलाव की पुष्टि करते हैं. सऊदी अरब अब गुटनिरपेक्ष रुख अपना रहा है. ईरान और चीन से नजदीकियां भी यह दर्शाती हैं कि सऊदी अरब अपने हितों का ध्यान रखते हुए 'सऊदी फर्स्ट' नीति अपना रहा है.
चीन के साथ सऊदी अरब की बढ़ती नजदीकी पर कई पश्चिमी देशों ने चिंता भी जताई है. इस पर टिप्पणी करते हुए सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान अल-सऊद ने रविवार को कहा कि सऊदी अरब चीन के साथ सहयोग का संबंध चाहता है, प्रतिस्पर्धा का नहीं. हम इन चीजों (पश्चिमी देशों की चिंताओं) पर ध्यान नहीं देते हैं.
अरब-चीन व्यापार सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय संबंधों की आलोचना पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए अब्दुलअजीज बिन सलमान ने कहा, "वास्तव में मैं इसे इग्नोर करता हूं क्योंकि... एक बिजनेसपर्सन के रूप में... आप वहां जाएंगे जहां अवसर मिलेगा.
सऊदी अरब की बदलती विदेश नीति पर जानकारों का मानना है कि ईरान और चीन के साथ सऊदी अरब की बढ़ती नजदीकियों के कई मायने हैं. पिछले एक दशक के दौरान सऊदी अरब की बदला हुआ रुख विदेश नीति को व्यापक बनाने की कोशिश का हिस्सा है. इस विविधीकरण को सफल बनाने में सऊदी अरब के लिए चीन एक परफेक्ट सहयोगी है.
सऊदी-अमेरिका के संबंध (Saudi-US partnership)
अमेरिका और सऊदी अरब के बीच संबंध के बारे में यह कहा जाता है कि दोनों देशों के बीच संबंध अक्सर तेल और सुरक्षा के इर्द-गिर्द घूमता है. अमेरिका कच्चे तेल के लिए काफी हद तक सऊदी पर निर्भर है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अक्टूबर 2022 में जब सऊदी अरब ने तेल कटौती की घोषणा की थी, तो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन तेल उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए सऊदी अरब से बात की थी. हालांकि, सऊदी अरब तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए राजी नहीं हुआ था. जिस पर अमेरिका ने परिणाम भुगतने तक की चेतावनी दी थी.

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