साल में छह करोड़ लोगों को गरीब बना देता है महंगा इलाज, प्रति व्यक्ति रोज के सिर्फ 5 रुपये खर्च करती हैं सरकारें
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नेशनल हेल्थ अकाउंट्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018-19 में केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर स्वास्थ्य पर 2.42 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे. इस हिसाब से हर व्यक्ति पर सरकारों ने सालभर में महज 1,185 रुपये खर्च किए थे. इतना ही नहीं, जीडीपी के मुकाबले स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च कम होकर 1.28% हो गया.
क्या आप जानते हैं कि भारत में हर साल 6.3 करोड़ लोगों को सिर्फ इसलिए गरीबी से जूझना पड़ता है क्योंकि उन्हें अपने स्वास्थ्य का खर्चा खुद उठाना पड़ता है. पर ऐसा क्यों होता है? जवाब है सरकार की अनदेखी. जिस देश में एक सांसद के स्वास्थ्य पर सरकार सालभर में 51 हजार रुपये से ज्यादा खर्च कर देती है, उसी देश के आम नागरिक के स्वास्थ्य पर खर्च 18 सौ रुपये के करीब ही है. सरकार की अपनी रिपोर्ट में ये आंकड़े दर्ज हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी 'नेशनल हेल्थ अकाउंट्स' की रिपोर्ट में 2018-19 में स्वास्थ्य पर हुए खर्च की जानकारी दी गई है. इसमें बताया गया है कि 2018-19 में केंद्र और राज्यों की सरकारों ने स्वास्थ्य पर कितना खर्च किया और लोगों ने अपनी जेब से कितने?
इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2018-19 में स्वास्थ्य पर 5.96 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए थे. इनमें से 2.42 लाख करोड़ रुपये केंद्र और राज्य सरकारों ने खर्च किए. बाकी का खर्च लोगों ने खुद उठाया या फिर निजी संस्थाओं ने किया.
रिपोर्ट के मुताबिक सरकारों ने 2018-19 में एक व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सालभर में 1 हजार 815 रुपये खर्च किए. अगर एक व्यक्ति पर हुए खर्च का एक दिन का औसत निकाला जाए, तो ये 5 रुपये से भी कम होता है.
वहीं, एक आरटीआई के जवाब में राज्यसभा सचिवालय ने बताया था कि 2018-19 में राज्यसभा सांसदों के स्वास्थ्य पर 1.26 करोड़ रुपये खर्च किए गए. राज्यसभा में 245 सांसद हैं. इस हिसाब से हर सांसद के स्वास्थ्य पर औसतन 51 हजार से ज्यादा रुपये खर्च हुए.
इसे और थोड़ा आसान करें तो ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आपके स्वास्थ्य पर सरकार 1 रुपये खर्च कर रही है, तो एक सांसद के स्वास्थ्य पर उसकी तुलना में 29 रुपये खर्च हो रहे हैं.
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