सपा में पार्टी विलय का चाचा शिवपाल का इंकार, भतीजे अखिलेश से गठबंधन को तैयार
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प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा कि समाजवादियों ने समाज के दम पर चार बार सरकार बनाई. भाजपा को हराने के लिए पूरे देश के समाजवादियों को एक होना पड़ेगा. साथ ही शिवपाल यादव ने साफ तौर पर कहा कि उनकी पार्टी का सपा में विलय नहीं होगा, लेकिन प्रमुख अखिलेश यादव के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं.
सपा से नाता तोड़कर अलग हो चुके प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव 2022 विधानसभा चुनाव के लिए गैर-भाजपावाद का नारा दिया है. उन्होंने कहा कि समाजवादियों ने समाज के दम पर चार बार सरकार बनाई. भाजपा को हराने के लिए पूरे देश के समाजवादियों को एक होना पड़ेगा. साथ ही शिवपाल यादव ने साफ तौर पर कहा कि उनकी पार्टी का सपा में विलय नहीं होगा, लेकिन प्रमुख अखिलेश यादव के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं. शिवपाल यादव ने आजतक से बातचीत करते हुए गैरभाजपावाद का नारा दिया है और सूबे की तमाम राजनीतिक पार्टियों से बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है. उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि सभी समाजवादी एक हों और भाजपा के खिलाफ एक सशक्त विपक्ष खड़ा हो. साथ ही शिवपाल ने कहा कि वह हर तरह के लिए त्याग करने को तैयार हैं लेकिन शर्त यह है कि सभी समाजवादी पार्टी के लोग एक होकर चुनावी मैदान में उतरें.1 जून यानी कल चुनाव का आखिरी दौर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर ध्यानमग्न हैं. 2019 में फाइनल राउंड से पहले प्रधानमंत्री ने केदारनाथ में 17 घंटे तक साधना की थी. इस बार पीएम 45 घंटे तक ध्यान में हैं. पीएम विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम में कल शाम से ध्यान पर हैं, जो कल शाम 6 बजकर 45 मिनट तक चलेगा. पीएम की साधना तस्वीरें आ गई हैं. विवेकानंद मेमोरियल रॉक के ध्यान मंडपम में पीएम ध्यान में हैं. इसके अलावा वो सूर्य नमस्कार करते हुए भी नजर आ रहे हैं.
कई इलाकों में लोगों को पानी के टैंकरों के पीछे बाल्टी और पाइप लेकर दौड़ते देखा जा सकता है. पानी का टैंकर देखते ही लोग उस पर झपट पड़ते हैं जिसके कई वीडियो सामने आए हैं. लोग लंबी-लंबी लाइनों में लगे हुए हैं. संकट इतना बड़ा है कि गुरुवार को दिल्ली सरकार को इमरजेंसी बैठक बुलानी पड़ी. इसके अलावा पानी की बर्बादी पर जुर्माना लगाया ही जा चुका है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी में ध्यान कर रहे हैं. ठीक 131 साल पहले उसी जगह एक और नरेंद्र ने ध्यान लगाया था और वहां ध्यान करने के बाद वो शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म संसद में भाषण देने के लिए पहुंचे थे. बाद में आगे चलकर दुनिया ने उन्हें स्वामी विवेकानंद के नाम से जाना. कन्याकुमारी में उनके ध्यान ने हिंदू धर्म की रूपरेखा बदल दी थी.