
सपा का 'घोसी मॉडल'... PDA के बाद क्षत्रिय वोटों के लिए अखिलेश का सामाजिक एकीकरण सम्मेलन, जानें रणनीति
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सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए पीडीए का नारा दिया था. पीडीए के बाद अब सपा ने क्षत्रिय वोटों के लिए सामाजिक एकीकरण सम्मेलन आयोजित करने का ऐलान किया है. इस सम्मेलन के पीछे अखिलेश यादव की रणनीति क्या है?
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को हराने के लिए नया फॉर्मूला दिया था. अखिलेश ने कहा था कि एनडीए को पीडीए हरा सकता है. पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक. पीडीए के बाद अब सपा की नजर क्षत्रिय वोट पर है.
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सपा ने क्षत्रिय वोट के लिए सामाजिक एकीकरण सम्मेलन आयोजित करने का ऐलान किया है. 3 सितंबर को लखीमपुर से इस सम्मेलन की शुरुआत होगी जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल होंगे. सपा का प्लान लखीमपुर के बाद बांदा और प्रतापगढ़ में भी सामाजिक एकीकरण सम्मेलन के आयोजन का है. अब अहम सवाल ये है कि इस सम्मेलन के पीछे अखिलेश यादव की रणनीति क्या है?
क्या है अखिलेश की रणनीति
वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर श्रीराम त्रिपाठी ने कहा कि अखिलेश यादव सपा को मुस्लिम-यादव की पार्टी वाली इमेज से बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं. पीडीए हो या अब क्षत्रिय समाज को लेकर सामाजिक एकीकरण सम्मेलन, ये इसी रणनीति का हिस्सा है. दूसरा पहलू ये भी है कि विपक्ष अगर एकजुट होकर लोकसभा चुनाव लड़ता है तो लड़ाई NDA बनाम I.N.D.I.A. यानी बाइपोलर हो जाएगी. बाइपोलर कॉन्टेस्ट की स्थिति में जीत सुनिश्चित करने के लिए करीब 50 फीसदी वोट चाहिए होंगे. अखिलेश इस वजह से भी सपा का वोट बेस बढ़ाने की कोशिश में हैं.
सपा से छिटका राजपूत वोट

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