सऊदी और पाकिस्तान की दोस्ती इस्लाम के कारण या असली वजह कुछ और?
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पाकिस्तान एक बार फिर से डिफॉल्ट होने की कगार पर है और एक बार फिर से वह सऊदी अरब से उम्मीद लगाए हुए है. हो सकता है कि सऊदी अरब इस बार भी पाकिस्तान को बचा ले. लेकिन सऊदी पाकिस्तान को बार-बार बचाता क्यों है? इस रिपोर्ट में पढ़िए सऊदी और पाकिस्तान की दोस्ती की कहानी.
शहबाज शरीफ के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने एक साल भी नहीं हुआ है और वह दो बार सऊदी अरब जा चुके हैं. वहीं, जनरल सैयद असीम मुनीर के पास पाकिस्तानी सेना की कमान आए डेढ़ महीने हुए हैं और इसी महीने पांच जनवरी को उन्होंने भी सऊदी अरब का दौरा किया.
इसके पहले के भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख सऊदी अरब का आए दिन दौरा करते रहे हैं. इमरान खान भी साल 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने भी पहला विदेश दौरा सऊदी अरब का ही किया था. इसके बाद वह कई बार सऊदी अरब गए.
इससे पता चलता है कि पाकिस्तान के लिए सऊदी अरब कितनी अहमियत रखता है. अभी पाकिस्तान एक बार फिर से डिफॉल्ट होने की कगार पर पहुंच गया है.
उसका विदेशी मुद्रा भंडार महज पांच अरब डॉलर के करीब है. यह रकम तीन हफ्ते के आयात बिल से ज्यादा नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान एक बार फिर से सऊदी अरब की ओर देख रहा है.
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने पिछले हफ्ते ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि सऊदी अरब कुछ दिनों में पैसा देगा. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, सऊदी अरब या तो तीन अरब डॉलर का कर्ज देगा या अपने पुराने कर्ज को चुकाने की मियाद बढ़ा देगा. लेकिन पाकिस्तान का संकट तीन अरब डॉलर से आगे का है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पांच जनवरी को ब्रिटिश अखबार द गार्डियन में एक लेख लिखा है और उसमें बताया कि उनका मुल्क किस तरह संकट में समाया हुआ है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील भी की है.