
सऊदी अरब के इस कदम से पुतिन को मिली और ताकत
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रूस पर अमेरिका और कड़े प्रतिबंध लगा सकता है लेकिन सऊदी अरब इसे लेकर रूस का साथ देने से पीछे हटने को तैयार नहीं है. सऊदी अरब का कहना है कि ओपेक से राजनीति को दूर रखा जाए और इसके मूल्यों को महत्व दिया जाए. उसका कहना है कि वो ओपेक, जिसमें रूस भी शामिल है, को लेकर एक समझौता करने वाला है.
तेल निर्यातक देश सऊदी अरब, अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद रूस को ओपेक प्लस (Organisation Of Petroleum Exporting Countries, OPEC+) से बाहर निकालने को तैयार नहीं है. रूसी तेल पर यूरोपीय संघ भी जल्द ही पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने वाला है लेकिन इन सबके बाद भी सऊदी रूस से अपनी साझेदारी जारी रखेगा. सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान ने कहा है कि सऊदी अरब ओपेक प्लस, जिसमें रूस भी शामिल है, से एक समझौता करने वाला है.
फाइनेंशियल टाइम्स से बात करते हुए प्रिंस अब्दुलअजीज ने कहा कि दुनिया को इसे राजनीतिक रंग न देते हुए ओपेक प्लस गठबंधन के मूल्यों की सराहना करनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'सऊदी अरब ओपेक + के साथ एक समझौते पर काम करने की उम्मीद कर रहा है, जिसमें रूस भी शामिल है.'
ओपेक+ 24 तेल उत्पादक देशों का एक समूह है, जो 14 ओपेक सदस्यों और रूस सहित 10 गैर-ओपेक देशों से बना है. ओपेक प्लस को 2017 में तेल उत्पादन में बेहतर समन्वय और वैश्विक कीमतों को स्थिर करने के प्रयास में बनाया गया था.
प्रिंस अब्दुलअजीज की ओपेक प्लस को लेकर की गई टिप्पणी से अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों को एक कड़ा संदेश गया है. सऊदी अरब ने स्पष्ट कर दिया है कि वो रूस या उसके तेल निर्यात को अलग-थलग करने के पश्चिम के प्रयास में साथ नहीं देगा.
अमेरिका से सऊदी अरब के बिगड़ते संबंध
सऊदी अरब और अमेरिका के बीच अच्छी दोस्ती मानी जाती है लेकिन जब से राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पदभार संभाला है, दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान वॉशिंगटन पोस्ट के सऊदी पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या को लेकर भी अमेरिका के निशाने पर रहे हैं.

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