सऊदी अरब और रूस के करीब हो रहा चीन, भारत के लिए बढ़ी चिंता!
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चीन भारत के महत्वपूर्ण सहयोगियों के करीब होता जा रहा है जो भारत के लिए चिंता का सबब बन गया है. चीन ने सऊदी अरब और ईरान के बीच राजनयिक रिश्ते बहाल करवाने के बाद अब सऊदी को शंघाई सहयोग संगठन में भी जगह दे दी है. वहीं, भारत के करीबी मित्र रूस से भी चीन अपने संबंध बढ़ा रहा है.
सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज ने एक समझौते ज्ञापन (MoU) को मंजूरी दी है जिसमें सऊदी को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के डायलॉग पार्टनर का दर्जा दिया गया है. चीन के नेतृत्व वाले सुरक्षा ब्लॉक एससीओ में सऊदी अरब का शामिल होना दोनों देशों के बीच की बढ़ती करीबी के तौर पर देखा जा रहा है. किंग सलमान ने एमओयू पर मंजूरी के दौरान ही सऊदी अरब और चीन के बीच तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण के शुभारंभ को भी मंजूरी दी. भारत के महत्वपूर्ण ऊर्जा सहयोगी का चीन के करीब जाना भारत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है.
भारत का महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार और पुराना मित्र रूस भी हाल के महीनों में चीन के बेहद करीब हो गया है. ऐसे में एक और महत्वपूर्ण साझेदार का चीन के पाले में जाना भारत के लिए चिंता का सबब बन गया है. एससीओ 8 सदस्य देशों से मिलकर बना है जिसमें चीन, रूस, भारत अहम देश हैं. ईरान, अफगानिस्तान सहित चार ऐसे देश हैं जिन्हें ऑब्जर्वर देश का दर्जा मिला है. वहीं, सऊदी अरब को मिलाकर एससीओ में अब 9 डायलॉग पार्टनर हो गए हैं. एससीओ का मुख्यालय चीन में है और चीन के ही झांग मिंग इसके सेक्रेटरी जनरल हैं.
चीन और सऊदी अरब की बढ़ती दोस्ती
सऊदी अरब और चीन की बढ़ती करीबी का ही नतीजा है कि ईरान और सऊदी ने अपनी दुश्मनी को भुलाकर हाल ही में राजनयिक रिश्तों को फिर से बहाल किया है. सुन्नी बहुल सऊदी अरब ने एक शिया धर्मगुरु को फांसी दे दी थी जिससे शिया बहुल ईरान में काफी हंगामा मचा था. ईरानी प्रदर्शनकारी रियाद स्थित सऊदी दूतावास में घुस गए थे. इसे लेकर साल 2016 में सऊदी ने ईरान से अपने राजनयिक रिश्ते खत्म कर दिए थे.
लेकिन इसी महीने चीन में चार दिनों तक चली वार्ता में दोनों देशों ने अपनी सात साल की दुश्मनी को भुलाकर फिर से रिश्ते बहाल करने पर सहमति जताई. चीन ने दोनों देशों के रिश्ते सामान्य करने में एक मध्यस्थ के रूप में अहम भूमिका निभाई.
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