संस्कृति के कथित रक्षकों को कामसूत्र नहीं, अपनी कुंठा जलानी चाहिए
The Wire
बजरंग दल को कृष्ण और गोपियों या राधा की रति-क्रीड़ा या किसी अन्य देवी-देवता के शृंगारिक प्रसंगों के चित्रण से परेशानी है तो वे भारत के उस महान साहित्य का क्या करेंगे जो ऐसे संदर्भों से भरा पड़ा है? वे कालिदास के ‘कुमारसंभवम्’ का क्या करेंगे जिसमें शिव-पार्वती की रति-क्रीड़ा विस्तार से वर्णित है. संस्कृत काव्यों के उन मंगलाचरणों का क्या करेंगे जिनमें देवी-देवताओं के शारीरिक प्रसंगों का उद्दाम व सूक्ष्म वर्णन है?
पौराणिक कृष्ण और आधुनिक महात्मा गांधी की जगह गुजरात में ‘कामसूत्र’ को जला दिया गया है. इतना ही नहीं यह धमकी भी जलाने वाले संगठन ‘बजरंग दल’ ने दी है कि यदि ‘कामसूत्र’ की बिक्री जारी रखी गई तो दुकान भी जला दी जाएगी. ‘बजरंग दल’ के लोगों का कहना है कि इस किताब में कृष्ण का आपत्तिजनक चित्रण है और हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया गया है. ‘आपत्तिजनक चित्रण’ का मतलब यह कि कामसूत्र किताब में कृष्ण और गोपियों या राधा की रति-क्रीड़ा के चित्र हैं. पता नहीं यह कब से शुरू हुआ कि शारीरिक संबंधों के लिए ‘आपत्तिजनक’ शब्द का हम इस्तेमाल करने लगे? प्रेम या यौन संबंधों के लिए ‘आपत्तिजनक’ शब्द का प्रयोग ही आपत्तिजनक है. ‘बजरंग दल’ के लोगों को कृष्ण और गोपियों या राधा की रति-क्रीड़ा या किसी अन्य देवी-देवता के शृंगारिक प्रसंगों के चित्रण से परेशानी है तो वे भारत के उस महान साहित्य का क्या करेंगे जो आदि से आज तक ऐसे संदर्भों से भरा पड़ा है? वे कालिदास के काव्य ‘कुमारसंभवम्’ का क्या करेंगे जिसमें ‘जगत् माता-पिता’ शिव-पार्वती की रति-क्रीड़ा विस्तार से वर्णित है. वे जयदेव के ‘गीतगोविंदम्’ का क्या करेंगे जिसमें ‘कुञ्ज-भवन’ में राधा-कृष्ण की केलि का वर्णन है? वे संस्कृत काव्यों के उन मंगलाचरणों का क्या करेंगे जिनमें देवी-देवताओं के शारीरिक प्रसंगों का उद्दाम एवं सूक्ष्म वर्णन है?More Related News