
संघ के 100 साल: हैदराबाद के निजाम की वजह से RSS को मिला गुरु गोलवलकर जैसा नेतृत्व?
AajTak
हैदराबाद का निजाम जब अपने अमले के साथ मद्रास एक्वेरियम देखने के लिए पहुंचा तो मुख्य द्वार पर ड्यूटी माधव की थी. उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन करने हुए टिकट की मांग की, लेकिन ये बात निजाम को अखर गई. उन्होंने अपना परिचय दिया, लेकिन माधव अड़े रहे. फिर क्या हुआ? RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है वही कहानी.
संघ के पुराने लोग अनौपचारिक बातचीत में अक्सर इस घटना का जिक्र करते हैं कि कैसे निजाम से जुड़ा प्रकरण गुरु गोलवलकर के जीवन में नहीं होता तो शायद संघ को उनके जैसा करिश्माई नेतृत्व नहीं मिलता. यूं ये भी खासा दिलचस्प है कि निजाम की सरकार के चलते ही तेलंगाना के एक गांव में रह रहा डॉ हेडगेवार का परिवार भी नागपुर चला आया था. आज भी उनका गांव मुस्लिम बाहुल्य है. हालांकि डॉ हेडगेवार का कभी सीधे निजाम से वास्ता नहीं पड़ा, लेकिन गुरु गोलवलकर ने तो निजाम की प्रतिष्ठा में ऐसा बट्टा लगाया था कि भारत में ही नहीं विदेशी मीडिया ने भी गुरुजी की हिम्मत की चर्चा की थी, तब वो संघ से जुड़े हुए नहीं थे.
दरअसल गुरु गोलवलकर यानी माधव के पिता भाऊजी उनको डॉक्टर बनाना चाहते थे. सो पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में साइंस विषय में दाखिला दिलवाया. लेकिन अचानक कॉलेज ने सर्कुलर निकाला कि केवल उसी प्रॉविंस के छात्र इस कॉलेज में पढ़ सकेंगे. उन्हें वो कॉलेज छोड़कर नागपुर के हिस्लॉप कॉलेज जाना पड़ा, नागपुर में अपने मामा मामी के यहां रहकर पढ़ाई करने लगे. अक्सर वो अपने प्रोफेसर की भी गलतियां बता दिया करते, जैसे बाइबिल का एक गलत संदर्भ देने पर प्रोफेसर गार्टनर को सही करवाया, उसी तरह जब जुलॉजी के प्रोफेसर ने कक्षा में सबको ये बताया कि पौधे की ये प्रजाति अब इस क्षेत्र में नहीं मिलती तो उस वक्त तो माधव शांत रहे, लेकिन अगले दिन वो उस पौधे के साथ कक्षा में आए थे.
सबको बताया कि ये पौधा शहर के पुराने पुल के नीचे मिला था. 1924 में उस कॉलेज से इंटरमीडिएट (साइंस) से करने के बाद माधव बीएससी करने बीएचयू चले गए. माधव को ज्ञान की भूख थी और बनारस हिंदू यूनीवर्सिटी ज्ञान का सागर थी, वहां के पुस्तकालय में 1 लाख से अधिक किताबें थीं. माधव ने उसका भरपूर फायदा उठाया, वो साइंस तक सीमित नहीं रहे बल्कि बचपन से संस्कृत के ज्ञान को बढ़ाकर कई गुना कर लिया. इकोनोमिक्स, सोशियोलॉजी जैसे विषय भी पढ़ने लगे. साथ में तैराकी, योगासन, बांसुरी, सितार जैसी तमाम अलग अलग विधाओं में हाथ आजमाने लगे. रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद का गहराई से अध्ययन तो किया ही, साथ में काशी में तभी खुले थिओसॉफी सेंटर भी जाने लगे. उनकी पहचान बन गया उनका ढीला ढाला सफेद कुर्ता पाजयामा.
1926 में बीएससी करने के बाद भी वह काशी छोड़ने को तैयार नहीं थे, सो एमएससी में दाखिला ले लिया. उनकी एमएससी जब 1928 में पूरी हुई तो उन्हें पीएचडी के लिए शोध करने के लिए मद्रास (चेन्नई) के एक्वेरियम (मत्स्यालय) से जुड़ गए, ये सेंट्रल मेरीन फिशरी रिसर्च इंस्टीट्यूट का ही भाग था. उनका शोध विषय था "Morphology and Bionomics of Indian Marine Fishes" (भारतीय समुद्री मछलियों की आकृति विज्ञान और जीवन चक्र). ये भी दिलचस्प है कि पिता इलाज करने वाला डॉक्टर बनाना चाहते थे और माधव पीएचडी करके प्रोफेसर वाले डॉक्टर बनने जा रहे थे. हालांकि होनी को कुछ और मंजूर था. डॉक्टर तो नहीं बने डॉ हेडगेवार के उत्तराधिकारी जरूर बन गए.
यहां पढ़ें: RSS के सौ साल से जुड़ी इस विशेष सीरीज की हर कहानी
उनके जीवन में मद्रास में रहते हुए ही निजाम की घुसपैठ की कहानी बडी दिलचस्प है. माधव जिस एक्वेरियम में कार्यरत थे, वह ब्रिटिश भारत सरकार का प्रमुख मत्स्य अनुसंधान केंद्र था, जहां सार्वजनिक दर्शन के लिए प्रवेश शुल्क अनिवार्य था (वयस्क के लिए 4 आने, बच्चों के लिए 2 आने). यह धनराशि स्टेशन के रखरखाव के लिए उपयोग होती थी.

चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन बयानों को प्रमुखता दी, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया है. पुतिन ने कहा कि रूस को दोनों देशों के आपसी रिश्तों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं. चीन ने पुतिन की भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह नतीजों पर नजर रखे हुए है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार रात डिनर का आयोजन किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डिनर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया. इसके बावजूद कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को बुलाया गया.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.

देश की किफायत विमानन कंपनी इंडिगो का ऑपरेशनल संकट जारी है. इंडिगो को पायलट्स के लिए आए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू करने में भारी दिक्कत आ रही है. इस बीच आज इंडिगो की 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो गई है, जिस पर कंपनी के सीईओ का पहला बयान सामने आया है. इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने इंडिगो ऑपरेशनल संकट पर पहली बार बयान देते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से विमानन कंपनी के कामकाज में दिक्कतें आ रही हैं. कंपनी का कामकाज पांच दिसंबर को सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. आज 100 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हुई हैं.

संसद के शीतकालीन सत्र में 8 और 9 दिसंबर 2025 को राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर दोनों सदनों में विशेष चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री इस चर्चा को संबोधित करेंगे. चर्चा का उद्देश्य वंदे मातरम् के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान प्रासंगिकता को उजागर करना है.







