श्रद्धा हत्याकांड में सजा का आधार बनेगा आफताब का कबूलनामा? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट
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कई कानूनी विशेषज्ञों ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मजिस्ट्रेट के सामने आफताब अमीन पूनावाला के कबूलनामे पर सवाल उठाया और इसे आपत्तिजनक और असाधारण करार दिया है.
श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का नार्को टेस्ट हो चुका है. लेकिन कानून के जानकारों का कहना है कि अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा का कत्ल करने वाले आफताब के कथित इकबालिया बयानों की कोई निर्णायक कानूनी वैधता नहीं है. पुलिस और अन्य आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पूनावाला ने हत्या करने और लाश को टुकड़ों में बांटकर फेंकने की बात कबूल की है. हालांकि, आरोपी के वकील ने इस बात से इनकार किया कि आफताब ने हत्या की बात कबूल की है.
कई कानूनी विशेषज्ञों ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मजिस्ट्रेट के सामने आफताब अमीन पूनावाला के कबूलनामे पर सवाल उठाया और इसे आपत्तिजनक और असाधारण करार दिया. दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर.एस. सोंधी ने समाचार एजेंसी भाषा से कहा कि पेशी का यह आपत्तिजनक तरीका है. आप नहीं जानते कि वह किस दबाव में था. उसे मजिस्ट्रेट के सामने शारीरिक रूप से पेश होना चाहिए था.
कानून के मुताबिक विशेषज्ञ कहते हैं कि मजिस्ट्रेट के सामने इकबालिया बयान स्वीकार्य सबूत है और इससे अपराध को सुलझाने में पुलिस को फायदा होता है. हालांकि, वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेशी और मीडिया रिपोर्ट से जांच एजेंसी के पक्ष में कोई मामला नहीं होता क्योंकि उनकी कोई कानूनी वैधता नहीं है.
कबूलनामे पर उठ सकते हैं सवाल
एक्टस लीगल के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर और आपराधिक मामलों के जाने-माने वकील निशांत श्रीवास्तव ने कहा कि यह असाधारण है कि एक आरोपी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपना गुनाह कबूल किया है. चूंकि कबूलनामा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया गया था, कल अगर आरोपी यह आरोप लगाता है कि उसने कबूलनामा इसलिए किया क्योंकि कैमरे के दूसरी तरफ पुलिस ने उस पर बंदूक ताने खड़ी थी, तो पुलिस क्या करेगी?
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि 22 नवंबर को आफताब अमीन पूनावाला की रिमांड अर्जी पर सुनवाई के दौरान, उसने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए मजिस्ट्रेट को बताया था कि उसने श्रद्धा वॉल्कर की हत्या की मगर उसे ऐसा जानबूझकर नहीं किया था. इसके तुरंत बाद, पूनावाला के वकील अविनाश कुमार ने पुलिस के बयान का खंडन किया था और कहा था कि आफताब ने मजिस्ट्रेट के सामने कभी भी इस तरह की कोई स्वीकारोक्ति नहीं की.
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