वाराणसी: गंगा खतरे के निशान तक पहुंची, गलियों में करना पड़ रहा है शवदाह
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वाराणसी में बाढ़ के चलते गंगा नदी रौद्र रूप ले चुकी है. प्रति घंटे 4 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ती जा रही गंगा चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर को पार कर चुकी है और अब 71.26 मीटर यानी खतरे के निशान की ओर बढ़ चली है. गंगा के बढ़ते जा रहे जलस्तर से सबसे ज्यादा तटीय इलाकों में रहने वालों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
वाराणसी में बाढ़ की विभीषिका अब खतरे के निशान को पार करते हुए दिखने लगी है. गंगा के सभी 84 घाट और सीढ़ियां पहले ही पानी में डूब चुके थे, अब आलम यह है कि गंगा का पानी गलियों में आ चुका है और गलियों में नाव भी चलना शुरू हो चुकी है. इतना ही नहीं, गलियों में शवदाह के चलते इलाके के लोग या तो धीरे-धीरे पलायन कर रहे हैं या फिर शवदाह के धुएं, राख और ताप के चलते अपनी खिड़कियों को चुनवाना शुरू कर दिया है. 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही गंगा नहीं रूकती है तो आने वाले एक-दो दिन में खतरे के निशान को भी पार कर जाएगी.
बाढ़ के चलते गंगा रौद्र रूप ले चुकी है. प्रति घंटे 4 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ती जा रही गंगा चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर को पार कर चुकी है और अब 71.26 मीटर यानी खतरे के निशान की ओर बढ़ चली है.
गंगा के बढ़ते जा रहे जलस्तर से सबसे ज्यादा तटीय इलाकों में रहने वालों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. डूब चुके सभी 84 गंगा घाटों में श्मशान घाट हरिश्चंद्र भी है, जिसकी वजह से शवों का अंतिम संस्कार घाट से लगने वाली गलियों में किया जा रहा है.
शवदाह से उठनी वाली राख, धुएं और तपिश की वजह से लोग इस कदर परेशान होना शुरू हो चुके हैं कि अपने घरों की खिड़कियों को चुनवाना शुरू कर दिया है और धीरे-धीरे पलायन भी शुरू कर दिया है. श्मशान घाट हरिश्चंद्र के किनारे गलियों में शवदाह के चलते इलाके के 200 मकान में रहने वाले लोग परेशान हैं, जिसमें ना सिर्फ शवदाह करने वाले डोम परिवार, बल्कि अन्य बिरादरी के लोग भी शामिल हैं.
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