
'वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन की मंजूरी देना गलत', कर्नाटक सरकार को HC ने की आलोचना
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हाईकोर्ट ने कर्नाटक सरकार द्वारा वक्फ (संसोधन) कानून के खिलााफ विरोध प्रदर्शन की मंजूरी देने की आलोचना की है. अदालत ने कहा कि राज्य को ये ध्यान में रखना चाहिए कि वक्फ अधिनियम में संशोधन के संबंध में यह मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है और इस प्रकार के विरोध की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की आलोचना की है. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी, जबकि ये मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
मंगलुरु निवासी राजेश ए द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में चल रही कार्यवाही को देखते हुए इस तरह के प्रदर्शन की अनुमति देना गलत (अनुचित) है.
न्यायाधीश ने कहा, 'राज्य को ये ध्यान में रखना चाहिए कि वक्फ अधिनियम में संशोधन के संबंध में यह मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है और इस प्रकार के विरोध की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.'
अदालत ने सरकार को ये सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ऐसे आयोजनों से सार्वजनिक सड़कें बाधित न हों तथा इस बात पर जोर दिया कि विरोध प्रदर्शन केवल निर्धारित स्थानों पर ही तथा आधिकारिक अनुमति के साथ ही किए जाने चाहिए. अदालत ने ये भी कहा, 'यदि अनुमति नहीं है तो कोई विरोध भी नहीं है.' अब इस मामले की सुनवाई 23 अप्रैल को होगी.
याचिकाकर्ता ने पुलिस के आदेश को दी चुनौती
मंगलुरु निवासी राजेश ए ने अपनी याचिका में शहर के पुलिस आयुक्त द्वारा जारी एक पत्र को चुनौती दी गई थी, जिसमें निजी बस ऑपरेटरों और कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम को निर्देश दिया गया था कि वे वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के कारण शुक्रवार को दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक नेशनल हाईवे- 73 के एक हिस्से पर सेवाएं संचालित न करें.

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