
लगातार हो रहे सम्मेलन, सभी सीटों पर संकल्प शिविर... क्या है कांग्रेस छत्तीसगढ़ जीतने का फार्मूला?
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पत्रकारों की मानें तो कांग्रेस 2023 में भी 2018 का फॉर्मूला अपनाते हुए नजर आ रही है. 2018 में भी कांग्रेस ने ऐसे सम्मेलन कर लोगों का मनमोहन लिया था और यह पार्टी के लिए काफी फ़ायदेमंद भी साबित हुआ था. कांग्रेस ने अपने छत्तीसगढ़ के राजनीतिक इतिहास में सबसे बेहतर जीत हासिल की थी
छत्तीसगढ़ 2023 चुनाव के पहले जहां एक और भाजपा लगातार बैठक के दौर में उलझ गई है, वही कांग्रेस अपनी पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने वाली है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत से जनता को अपनी तरफ आकर्षित करने का काम शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने प्रदेश में सम्मेलनों की झड़ी लगा दी है. भले ही वह भरोसा जीतने के लिए किया जाने वाला सम्मेलन हो या पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकातों के लिए सम्मेलन हो या फिर जिलों में बूथ प्रबंधन के काम के बंटवारे के लिए ही लोगों का जुटना क्यों न हो, कांग्रेस में लगातार बैठकों का दौर जारी है.
कांग्रेस अपना रही 2018 का फॉर्मूला पत्रकारों की मानें तो कांग्रेस 2023 में भी 2018 का फॉर्मूला अपनाते हुए नजर आ रही है. 2018 में भी कांग्रेस ने ऐसे सम्मेलन कर लोगों का मनमोहन लिया था और यह पार्टी के लिए काफी फ़ायदेमंद भी साबित हुआ था. कांग्रेस ने अपने छत्तीसगढ़ के राजनीतिक इतिहास में सबसे बेहतर जीत हासिल की थी और 71 सीटों पर जीत कर सत्ता पर काबिज हुई थी. कांग्रेस ने पिछले बार कहा था कि इस बार भी बूथ प्रबंधन को खास प्राथमिकता दी गई है.
जून से शुरू हो गई थी ट्रेनिंग इस बार भी यह फैसला लिया गया है कि 28000 बूथों पर कांग्रेस के हजारों नेता की पहुंच रहेगी. यूथ विंग को भी अलग-अलग जिलों तक जाने की जिम्मेदारी दी गई है. 2018 की तरह इस बार भी सारे ब्लॉक लेवल की कमेटी के अध्यक्ष और विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले कांग्रेस के समस्त पदाधिकारी मंडल व बोर्ड आयोग में नियुक्त पदाधिकारियों को भी भाग लेने के लिए कहा गया है. उन्हें लोगों तक पहुंचने के लिए खास ट्रेनिंग भी दी जा रही है ताकि वह बहुत अच्छे व प्रभावी ढंग से लोगों से जुड़ सकें. उनकी ट्रेनिंग जून महीने से ही शुरू हो चुकी थी.
सभी विधानसभा सीटों में संकल्प शिविर कांग्रेस ने हाल फिलहाल में अपनी सभी 90 विधानसभा सीटों पर संकल्प शिविर भी शुरू किया है, जिसके जरिए वह अपने शक्ति प्रदर्शन पर खास फोकस रखते हैं. संकल्प शिविर की शुरुआत इस बार रायपुर की पश्चिम सीट से हुई जहां आज तक कांग्रेस ने जीत हासिल नहीं की है. वहां 33 सालों से बृजमोहन अग्रवाल ही सत्ता पर काबिज हैं. 2018 में भी यह संकल्प शिविर लगाया गया था, लेकिन चुनाव आते-आते सिर्फ 85 विधानसभा सीटों तक यह अयोजित हो पाया था.
इस बार पार्टी के नेताओं द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि वह 90 विधानसभा सीटों तक पहुंचेंगे. यहां पर वे अपने सभी मतदाताओं को अपनी लागू की गईं योजना के फ़ायदे को गंवाएंगें. इस बार कांग्रेस की कोशिश है कि 15 दिनों में ही 90 विधानसभा में संकल्प यात्रा को कवर कर लें और इस बार इस यात्रा को सबसे पहले मध्य छत्तीसगढ़ के रायपुर और दुर्ग से शुरू किया जाएगा. फिर इसे बिलासपुर संभागों के सभी सीटों पर ले जाया जाएगा और अंत में इसे बस्तर रोड सरगुजा के संभाग में निकाला जाएगा.
सम्मेलन के तहत सरकार अपनी उपलब्धियां लोगों को लगातर बताती जा रही हैं और इसकी शुरुआत मई महीन से ही शुद्ध छत्तीसगढ़ में कर दी गई थी. जहां पर भी सरकार सम्मेलन करती है वहां कलेक्टरों को सत्तादेश दिए जाते हैं. वहां सभी विभागों की समीक्षाएं करें और शासन की योजनाओं से संबंधित स्टॉल भी लगाएं. इसके तहत ग्रामीण औद्योगिक पार्क मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान सीएमएटी स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यमिक विद्यालय हार्ड बाजार क्लिनिक योजना माइलेज कैफे इन सभी के स्टॉल भरोसे के सम्मेलन में अक्सर देख देखने को मिलते हैं.

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