रूस से भारत को दूर करने के लिए अमेरिका ने उठाया बड़ा कदम
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इंडो-पैसेफिक रीजन में चीन से मुकाबला करने और भारत की हथियार के लिए रूस पर से निर्भरता कम करने के लिए भारत और अमेरिका ने एक रक्षा पहल की शुरुआत की है. इस रक्षा पहल को 'यूएस-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज' नाम दिया गया है.
चीन से मुकाबला करने के लिए भारत और अमेरिका ने महत्वाकांक्षी तकनीक और रक्षा पहल शुरू की है. भारत-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने और हथियारों के लिए रूस पर से निर्भरता कम करने के लिए अमेरिका और भारत उन्नत रक्षा और कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी साझा करने की योजना बना रहे हैं. अमेरिका कई बार कह चुका है कि हथियारों के लिए रूस पर अपनी निर्भरता की वजह से भारत उसके ज्यादा करीब है इसलिए अमेरिका भी भारत को आधुनिक तकनीक मुहैया कराने में सहयोग करेगा.
इस रक्षा पहल में जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी जेट इंजनों का साझा उत्पादन भी शामिल हो सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका चाहता है कि चीन से मुकाबला करने के लिए भारत हथियार के लिए रूस पर निर्भर नहीं रहे.
इस रक्षा पहल को 'यूएस-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज' नाम दिया गया है. सेना और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के व्यापक एजेंडे के साथ भारत और अमेरिका ने मंगलवार को इस योजना की जानकारी दी.
'द इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज' चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से सहयोगी देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए उठाया गया कदम है.
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, "भू-राजनीतिक चुनौतियों का फ्रेमवर्क केवल रूस या चीन की ओर से ही नहीं बनाया जाएगा. क्योंकि चीन की आक्रामक सैन्य रणनीति और आर्थिक ताकत का गहरा असर भारत की राजधानी दिल्ली के अलावा दुनिया भर की राजधानियों पर पड़ा है."
चीन से मुकाबला करने के लिए भारत और अमेरिका के बीच कई अहम समझौते
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