
रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत को झटका, रूस ने इस हथियार को अभी सप्लाई करने से किया इनकार
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ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि रूस 2024 तक S-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी कर देगा. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध का हवाला देते हुए हुए रूस ने भारत के लिए अहम हथियार S-400 मिसाइल सिस्टम की अगली खेप की डिलीवरी डेट आगे बढ़ा दी है.
रूस और यूक्रेन में जारी युद्ध से भारत को झटका लगा है. युद्ध का हवाला देते हुए रूस ने सीमा सुरक्षा के लिहाज से भारत के लिए अहम हथियार S-400 मिसाइल सिस्टम की अगली खेप की डिलीवरी डेट आगे बढ़ा दी है.
साल 2018 में भारत और रूस के बीच S-400 एयर डिफेंस मिसाइलों के पांच स्क्वाड्रन खरीदने के लिए समझौता हुआ था. इनमें से तीन स्क्वाड्रन की डिलीवरी की जा चुकी है. ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि रूस 2024 तक S-400 के बाकी दो स्क्वाड्रन की डिलीवरी भी कर देगा. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर रूस ने 2024 तक इसकी डिलीवरी से इनकार कर दिया है.
अगस्त 2026 तक डिलीवरी संभव
रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन से जारी युद्ध के बीच रूस ने भारत को बताया है कि S-400 एयर डिफेंस मिसाइलों के बचे दो स्क्वाड्रन की डिलीवरी अगस्त 2026 तक संभव है.
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की चेतावनी के बावजूद अक्टूबर 2018 में भारत ने S-400 एयर डिफेंस मिसाइलों के पांच स्क्वाड्रन खरीदने के लिए रूस के साथ 5 अरब डॉलर यानी लगभग 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक का समझौता किया था. ट्रंप ने CAATSA (Countering America's Adversaries Through Sanctions Act) के तहत भारत पर अमेरिकी प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी थी.
CAATSA अधिनियम एक सख्त अमेरिकी कानून है जो उन देशों पर प्रतिबंधों लगाने की बात करता है जो उसके शत्रु देशों से भारी मात्रा में प्रमुख डिफेंस हार्डवेयर खरीदते हैं. यह कानून 2014 में क्रीमिया पर रूसी कब्जे और 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में कथित रूसी हस्तक्षेप के जवाब में बनाया गया है.

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