रूस में क्यों कैसे भी देश छोड़कर भाग जाना चाहते हैं लाखों पुरुष, देखें रिपोर्ट
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रूस में इस वक्त लाखों पुरुष किसी भी तरह अपना देश छोड़ कर भाग जाना चाहते हैं. ये वो लोग हैं, जिन्हें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के ख़िलाफ लड़ाई लड़ने के लिए युद्धभूमि में भेजने का फैसला किया है और इसके बाद से रशिया के तमाम Anti War Groups और Reserve Force के जवान पुतिन के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और इन लोगों का कहना है कि यूक्रेन के लोगों के साथ इनका खून का रिश्ता है इसलिए ये यूक्रेन में युद्ध लड़ने के लिए नहीं जाएंगे. देखें वीडियो.
इजरायल-हमास जंग में सीधा दखल देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने गाजा में लड़ाई रोकने का प्रस्ताव पास किया. ये यूनाइटेड नेशन्स की सबसे मजबूत शाखा है. ऐसे में जाहिर है कि उसका कहना भी खासा मायने रखेगा. लेकिन क्या हो अगर कोई देश उसकी बात को नजरअंदाज कर दे? कब और क्या-क्या एक्शन ले सकती है परिषद?
इजरायल-हमास जंग में सीधा दखल देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने गाजा में लड़ाई रोकने का प्रस्ताव पास किया. ये यूनाइटेड नेशन्स की सबसे मजबूत शाखा है. ऐसे में जाहिर है कि उसका कहना भी खासा मायने रखेगा. लेकिन क्या हो अगर कोई देश उसकी बात को नजरअंदाज कर दे? कब और क्या-क्या एक्शन ले सकती है परिषद?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि पिछले हफ्ते मॉस्को के बाहरी इलाके में मौजूद क्रोकस सिटी हॉल में हुआ घातक हमला इस्लामी आतंकवादियों द्वारा किया गया है. हालांकि, पुतिन ने मामले में यूक्रेन को क्लीन चिट नहीं दी है. पुतिन ने कहा कि ये यूक्रेन के लिए भी फायदेमंद था और हो सकता है कि कीव ने इसमें भूमिका निभाई हो. उन्होंने ये टिप्पणी आतंकी हमले के जवाब में रूस द्वारा हुई एक मीटिंग के दौरान की. इससे पहले फ्रांस ने अमेरिका के हां में हां मिलाते हुए कहा कि, खुफिया जानकारी से संकेत मिलता है कि हॉल में हुए हमले के लिए इस्लामिक स्टेट जिम्मेदार है. आपको बता दें कि इस हॉल में 4 आतंकियों ने घुसपैठ की और करीब 140 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई.
ईरान के जुर्माने से बचने के लिए पाकिस्तान ने उठाया ये कदम तो अमेरिका ने दी प्रतिबंध लगाने की चेतावनी
अमेरिका ने पाकिस्तान को पाक-ईरान गैस पाइपलाइन परियोजना को लेकर चेतावनी दी है. अमेरिका ने पाकिस्तान को इस परियोजना को रोकने की सलाह दी है. अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. इस प्रोजेक्ट को लेकर मई 2009 में पाकिस्तान और ईरान के बीच समझौता हुआ था.