रूस को लेकर मोदी सरकार के साथ आए राहुल गांधी, चीन पर कही ये बात
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पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका दौरे पर हैं. इस यात्रा के दौरान अपने संबोधन में राहुल गांधी केंद्र की मोदी सरकार लगातार हमला बोल रहे हैं. लेकिन गुरुवार को उन्होंने मोदी सरकार के एक निर्णय का पुरजोर समर्थन किया है.
छह दिवसीय अमेरिका दौरे पर गए पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत-रूस रिश्ते को लेकर कहा है कि रूस के साथ हमारा एक रिश्ता रहा है जिसे नकारा नहीं जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि रूस के साथ संबंधों को लेकर हमारी प्रतिक्रिया भी उसी तरह होती जो बीजेपी की रही है.
अमेरिका के वॉशिंगटन में नेशनल प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत में प्रेस और धार्मिक स्वतंत्रता, अल्पसंख्यकों के सामने आने वाली समस्याओं के साथ-साथ अर्थव्यवस्था से भी जुड़े कई सवालों के जवाब दिए. इससे पहले सैन फ्रैंसिस्कों में राहुल गांधी ने मोदी सरकार की जमकर आलोचना की थी.
केंद्र की मोदी सरकार के रुख का समर्थन
राहुल गांधी गुरुवार को वॉशिंगटन प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. इस दौरान उनसे पूछा गया, " यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से भारत-रूस रिश्ते को कांग्रेस किस तरह से आकलन करेगी?" इस सवाल पर मोदी सरकार के रुख का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि वह भी इस मुद्दे पर इसी तरह की प्रतिक्रिया देते, जिस तरह की प्रतिक्रिया बीजेपी की रही है. रूस के साथ हमारा एक रिश्ता है. हम कुछ चीजों के लिए उन पर निर्भर हैं. हमें भी अपने हितों के बारे में सोचना होगा. इसलिए मेरा भी वही रुख भी होगा जो भारत सरकार का है.
भारत और अमेरिका के रिश्ते पर टिप्पणी करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि अमेरिका से रिश्ते भी महत्वपूर्ण हैं. रक्षा संबंध होना महत्वपूर्ण है. लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि हमें अन्य सहयोग क्षेत्रों पर भी विचार करने की जरूरत है.
रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही भारत रूस की निंदा करने से परहेज करता रहा है. शुरुआत से ही इस मुद्दे पर भारत का न्यूट्रल स्टैंड रहा है. पश्चिमी देशों की ओर से लगातार दबाव बनाए जाने के बाद भी भारत ने अभी तक यूक्रेन में जारी रूसी हमले की निंदा नहीं की है. इसके अलावा भारत ने अभी तक एक बार भी रूस के खिलाफ लाए गए किसी प्रस्ताव में भी भाग नहीं लिया है. भारत ने सीधे तौर पर रूस की निंदा करने के बजाय इस युद्ध को कूटनीति और बातचीत से सुलझाने का आह्वान किया है.
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