
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने PM मोदी को किया फोन, यूक्रेन से युद्ध खत्म न होने की बताई ये वजह
AajTak
पीएम मोदी से बातचीत के दौरान पुतिन ने उन्हें मौजूदा स्थिति से वाकिफ कराया. उन्होंने बताया कि यूक्रेन किसी तरह के समझौते के लिए राजनीतिक एवं राजनयिक कदम उठाने से इनकार कर रहा है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच यूक्रेन युद्ध सहित क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत हुई. पीएम मोदी ने शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए रूस के नेतृत्व में उठाए गए कदमों का समर्थन किया.
इस बातचीत के दौरान पुतिन ने पीएम मोदी को रूस की मौजूदा स्थिति और ताजा घटनाक्रमों से वाकिफ कराया. उन्होंने बताया कि यूक्रेन किसी तरह के समझौते के लिए राजनीतिक एवं राजनयिक कदम उठाने से इनकार कर रहा है. इस दौरान मोदी ने 'डायलॉग' और 'डिप्लोमेसी' की अपनी पॉलिसी पर जोर दिया.
वैगनर की बगावत पर भी हुई चर्चा
दोनों नेताओं के बीच बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने 24 जून को रूस में वैगनर आर्मी की बगावत और तख्तापलट की कोशिश के संबंध में राष्ट्रपति पुतिन का समर्थन किया. उन्होंने रूस में शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पुतिन के नेतृत्व में उठाए गए कदमों का समर्थन भी किया.
दोनों वैश्विक नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दे पर विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और जी-20 पर भी बातचीत हुई.
राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन युद्ध की मौजूदा स्थिति से पीएम मोदी को वाकिफ कराया. उन्होंने कहा कि यूक्रेन इस युद्ध को सुलझाने के लिए किसी भी तरह के राजनीतिक और डिप्लोमैटिक कदम उठाने से इनकार कर रहा है. भारत और रूस के संबंधों को अगले स्तर तक ले जाने और आपसी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए पुतिन और मोदी ने लगातार संपर्क में बने रहने की भी प्रतिबद्धता जताई.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.






