
रूस और भारत के बीच बंपर तेल खरीद पर रूसी डिप्टी पीएम का बड़ा बयान
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भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है. यूक्रेन युद्ध के बावजूद भी भारत रूस से भारी मात्रा में रियायत कीमतों के साथ कच्चा तेल खरीद रहा है. खास बात है कि रूसी तेल पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद भी पिछले एक साल में दोनों देशों के बीच तेल खरीद में बंपर इजाफा देखने को मिला है.
अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी भारत रूस से भारी मात्रा में रियायत कीमतों पर कच्चा तेल खरीद रहा है. रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक के अनुसार, भारत ने पिछले साल की तुलना में 22 गुना ज्यादा रूसी तेल खरीदा है. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि भारत ने कुल कितना तेल खरीदा.
उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने मंगलवार को कहा कि यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद यूरोपीय देशों ने रूस के बजाय अन्य देशों से तेल खरीदना शुरू कर दिया. लेकिन इस दौरान भारत को निर्यात होने वाली रूसी तेल में पिछले साल की तुलना 22 गुना बढ़ोतरी हुई है.
चीन और भारत ने खरीदे सबसे ज्यादा रूसी तेल
यूक्रेन पर आक्रमण के बाद यूरोपीय यूनियन ने रूस से तेल खरीद पर रोक लगाते हुए आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था. जिसके बाद रूस ने अपने तेल निर्यात को पूरी तरह से भारत और चीन की ओर स्थानांतरित कर दिया. इसके बाद दिसंबर 2022 में यूरोपीय यूनियन ने रूसी कच्चे तेल पर प्राइस कैप लगा दिया था. इस प्राइस कैप को जी-7 समूह ने भी समर्थन किया था. इसके बावजूद भारत और चीन रूस से भारी मात्रा में सस्ता तेल खरीद रहा है.
उपप्रधान मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने रूसी समाचार एजेंसियों से बात करते हुए कहा, "हमने अधिकांश ऊर्जा व्यापार क्षेत्रों को मित्र देशों की ओर स्थानांनतरित कर दिया है. उदाहरण के तौर पर अगर हम भारत की बात करें, तो पिछले साल की तुलना में हमने भारत को 22 गुना ज्यादा तेल निर्यात किया है.
भारत ने रूस से की बंपर तेल खरीद

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