
रूसी तेल की आमद घटी, अब UAE से तेल की खरीद बढ़ाने जा रहा भारत
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भारत पहले सबसे अधिक संयुक्त अरब अमीरात से ही कच्चा तेल खरीदता था लेकिन जब रूस से तेल की खरीद भारी पैमाने पर बढ़ी तब भारत अपने पारंपरिक आपूर्तिकर्ता से दूर होता गया. लेकिन अब रूस से तेल की खरीद धीरे-धीरे कम हो रही है. इसी बीच भारत और यूएई में तेल को लेकर चर्चा हुई है.
भारत जो कि फिलहाल सबसे ज्यादा रूस से तेल आयात कर रहा है, आने वाले महीनों में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से तेल का आयात बढ़ाने जा रहा है. सूत्रों ने जानकारी दी है कि यूएई की राजधानी दुबई में हुई COP28 शिखर सम्मेलन से इतर एक बैठक में इस बात पर चर्चा हुई है.12 दिसंबर तक चलने वाले इस शिखर सम्मेलन में भारतीय अधिकारियों के अलावा भारत की तेल कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी भी हिस्सा ले रहे हैं.
यूएई लंबे समय तक भारत का शीर्ष कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता रहा था लेकिन यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से रूस ने भारत को रियायती दरों पर कच्चा तेल ऑफर किया. इसका लाभ उठाते हुए भारत ने रूस से तेल की खरीद बढ़ा दी जिससे यूएई से तेल खरीद में भारी गिरावट आई. भारत अपने इस्तेमाल का सबसे अधिक तेल अब रूस से खरीद रहा है. लेकिन अब एक बार फिर यूएई से कच्चे तेल की खरीद बढ़ने वाली है.
प्रमुख रिफाइनरी के अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए कहा, ‘हमें आने वाले महीनों में यूएई से कच्चे तेल की अधिक आपूर्ति की उम्मीद है. इस बारे में दुबई में बातचीत जारी है.' अधिकारी ने संकेत दिया कि यूएई भी अगले साल की शुरुआत से अपने मुंबई ग्रेड कच्चे तेल के लिए निर्यात करने को तैयार है.
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 24 के पहले छह महीनों में भारत ने यूएई से 3.2 अरब डॉलर का कच्चा तेल खरीदा था जबकि बीते साल इसी अवधि में 9.35 अरब डॉलर का कच्चा तेल खरीदा गया. यानी भारत जिन 10 देशों से सबसे अधिक तेल खरीदता है, उनमें यूएई शीर्ष पर था और सबसे अधिक गिरावट यूएई से तेल खरीद में ही आई है. यूएई से तेल खरीद में 65 फीसदी की गिरावट आई है.
भारत यूएई का मुक्त व्यापार समझौता और रुपये में व्यापार
भारत और यूएई ने द्विपक्षीय व्यापार को आसान बनाने के लिए मई 2022 में मुक्त व्यापार समझौता भी लागू किया है. इस समझौते का उद्देश्य 2030 तक गैर तेल कारोबार को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करना है. अधिकारियों के मुताबिक मुक्त व्यापार में हाइड्रोकार्बन प्रमुख तत्त्व रहेगा और द्विपक्षीय व्यापार में इसका हिस्सा करीब 50 फीसदी रहेगा.

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