
'रिश्ता नया, पासवर्ड वही'...लोग अपने एक्स के नाम पर क्यों रखते हैं पासवर्ड? अटैचमेंट, दिमागी 'लोचा' समेत ये हैं कारण
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कई लोग अपने पासवर्ड में अपने एक्स पार्टनर का नाम इस्तेमाल करते है, जो तकनीकी रूप से कमजोर माना जाता है लेकिन साइकोलॉजी के अनुसार, यह नाम उनकी मेमोरी, अटैचमेंट और अधूरे इमोशन्स से जुड़ा होता है.
Ex name password psychology: कितनी अजीब बात है न, पासवर्ड जैसी चीज जो पूरी तरह प्राइवेट और सीक्रेट होनी चाहिए, उसमें भी लोग अपने पुराने रिलेशनशिप्स की परछाईं बचाकर रखते हैं. रोज फोन अनलॉक करते हुए, मेल लॉगिन करते समय या फिर लैपटॉप ऑन करते हुए वे मुंह से नहीं तो दिमाग में तो अपनी एक्स-गर्लफ्रेंड, एक्स-बॉयफ्रेंड या क्रश का नाम दोहरा ही लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं चेक दुनिया में एक्स के नाम को काफी कमजोर पासवर्ड माना जाता है लेकिन साइकोलॉजी के हिसाब से ये आपकी मेमोरी, अटैचमेंट और अधूरे इमोशन्स की कहानी बयां करता है.
हो सकता है आपने या आपके कई जान पहचान वालों ने अपने एक्स के नाम को ही अलग-अलग चीजों का पासवर्ड बना रखा हो. हालांकि एक्स के नाम पर पासवर्ड रखने के पीछे का साइकोलॉजिकल कारण क्या हो सकता है, इस बारे में आज हम आपको बताएंगे.
Aajtak Podcast के मुताबिक, इसका जवाब सीधा है. पासवर्ड सिर्फ टेक्निकल नहीं बल्कि एक इमोशनल एंकर भी होता है. रिलेशनशिप में जब कोई बहुत करीब होता है, उसका नाम दिमाग में गहराई से बैठ जाता है. ब्रेकअप के बाद भी वही नाम तुरंत याद आता है इसलिए कई लोग उसे पासवर्ड बना देते हैं. यह तीन कारणों से होता है. इमोशनल मेमोरी, नॉस्टैल्जिया और अनफिनिश्ड अटैचमेंट और कंट्रोल या पॉवर डायनेमिक्स.
आसान शब्दों में समझें तो पासवर्ड बनाते समय दिमाग लॉजिक से नहीं, दिल से काम करता है इसलिए एक्स का नाम मेमोरीज के साथ पासवर्ड में आ जाता है.
दिमाग ऑटो-पायलट पर भी उसे भूलता नहीं, लेकिन साइबर सिक्योरिटी की नजर से ये बेहद कमजोर और खतरनाक पासवर्ड माने जाते हैं. एक्स के नाम को पासवर्ड बनाने के पीछे कुछ इमोशनली कारण भी होते हैं जो जानना काफी जरूरी है.

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