राहुल गांधी की सदस्यता बहाली को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, अगले हफ्ते हो सकती है सुनवाई
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वकील अशोक पांडे ने अपनी इस याचिका में कहा है कि एक बार संसद या विधानसभा का सदस्य कानून के संचालन से अपना पद खो देता है, तो वह तब तक अयोग्य ठहराया जाएगा जब तक कि वह किसी बड़ी अदालत द्वारा आरोपों और दोष सिद्धि से बरी न कर दिया जाए.
कांग्रेस नेता और वायनाड के फिर से बहाल किए गए सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता की बहाली को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.
याचिका में केरल के वायनाड से सांसद के रूप में उनकी सदस्यता बहाल करने की लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है. वकील अशोक पांडे ने अपनी इस याचिका में कहा है कि एक बार संसद या विधानसभा का सदस्य कानून के संचालन से अपना पद खो देता है, तो वह तब तक अयोग्य ठहराया जाएगा जब तक कि वह किसी बड़ी अदालत द्वारा आरोपों और दोष सिद्धि से बरी न कर दिया जाए. लेकिन राहुल गांधी के मामले में सिर्फ सजा पर रोक लगी है. अगले हफ्ते इसके सुनवाई पर आने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि पिछले दिनों राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल हो गई. लोकसभा सचिवालय की ओर से इसे लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी गई. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मानहानि केस में राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा और दोषसिद्धि को रद्द कर दिया था. इसी के साथ उनके संसद में वापसी का रास्ता साफ हो गया था.
राहुल 2019 लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से चुनाव जीते थे. मोदी सरनेम मानहानि केस में राहुल को 23 मार्च को निचली अदालत ने 2 साल की सजा सुनाई थी. इसके अगले दिन यानी 24 मार्च को उनकी संसद सदस्यता रद्द हो गई थी.
2019 में राहुल ने दिया था बयान राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था, ''नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?'' राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था.
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