योगी सरकार के आखिरी पूर्ण बजट में छुपे हैं ये पांच बड़े सियासी संदेश
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योगी सरकार ने अब तक के सबसे भारी-भरकम बजट के जरिए 2022 के विधानसभा चुनावी की सियासी जंग को फतह करने की रूपरेखा तय की है. यही वजह है कि सरकार ने नौजवानों से लेकर किसानों और महिलाओं के साथ-साथ अपने मूल एजेंडे हिंदुत्व और अपने शहरी कोर वोटबैंक को साधे रखने के लिए बजट में पांच बड़े राजनीतिक संदेश देने की कवायद की है.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपने इस कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट सोमवार को पेश किया. सूबे के वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने 5 लाख 50 हजार 270 करोड़ 78 लाख का ऐतिहासिक बजट पेश किया है. योगी सरकार ने अब तक के सबसे भारी-भरकम बजट के जरिए 2022 के विधानसभा चुनावी की सियासी जंग को फतह करने की रूपरेखा तय की है. यही वजह है कि सरकार ने नौजवानों से लेकर किसानों और महिलाओं के साथ-साथ अपने मूल एजेंडे हिंदुत्व और अपने शहरी कोर वोटबैंक को साधे रखने के लिए बजट में पांच बड़े राजनीतिक संदेश देने की कवायद की है. 1. किसानों की नाराजगी दूर करने की कवायद कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का गुस्सा बीजेपी सरकार के खिलाफ बढ़ता ही जा रहा है. किसान आंदोलन अब पश्चिमी यूपी से लेकर अवध और पूर्वांचल के इलाके को अपने जद में ले रहा है. सूबे में चुनावी साल होने के चलते योगी सरकार ने बजट के जरिए किसानों की नाराजगी को दूर करने के लिए कदम बढ़ाए हैं, क्योंकि किसान सूबे की करीब 300 सीटों की दशा और दिशा तय करते हैं. सरकार ने किसानों की आय को साल 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अन्तर्गत 600 करोड़ रुपये की व्यवस्था बजट में प्रस्तावित है, जिसमें सरकार किसान का 5 लाख का बीमा कराएगी.हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल आठ महीने के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी. इस घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. हालांकि बाद में आरोपी को फिर से कस्टडी में लेकर जुवेनाइल सेंटर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.