येवगेनी की बगावत ही नहीं, पहले भी विद्रोह को कुचलकर सत्ता में जमे रहे हैं रूस के राष्ट्रपति पुतिन
AajTak
विरोध और विद्रोह का झंडा बुलंद कर मॉस्को की ओर बढ़ रही वैगनर आर्मी अब लौट चुकी है. येवगेनी प्रेगोझिन के विद्रोह को पुतिन ने दबा दिया है. बगावत के 12 घंटे के अंदर उन्होंने सरकार के साथ समझौता कर लिया है, लेकिन यह पहली बार नहीं है, जब पुतिन ने विद्रोह का सामना किया है, बल्कि ये सिलसिला 23 साल से जारी है.
रूस पर गृहयुद्ध और पुतिन पर आया तख्तापलट का संकट अब खत्म हो चुका है. एक बार फिर पुतिन ने अपने खिलाफ हुए विद्रोह को दबा दिया है और सत्ता पर पकड़ मजबूत बना रखी है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सख्ती के आगे प्राइवेट आर्मी वैगनर के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन झुक गए हैं. बगावत के 12 घंटे के अंदर उन्होंने सरकार के साथ समझौता कर लिया है. बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के बीच-बचाव और दिए गए प्रस्ताव के बाद ये मसला हल हुआ है. लिहाजा अब यह प्राइवेट आर्मी अपने कैंपों की ओर लौट रही है. टैंकों का रास्ता मोड़ लिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, ये प्राइवेट आर्मी मॉस्को पर कब्जा के लिए आगे बढ़ी थी.
पहली बार नहीं है पुतिन के खिलाफ विद्रोह यह पहली बार नहीं है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विरोध झेला है, लेकिन हर बार वह विद्रोह को दबाकर और कुचलकर आगे बढ़ते रहे हैं. इसका सिलसिला बीते 23 सालों से तो लगातार ही चल रहा है. घटनाओं के संदर्भ में इतिहास और तारीखें कड़ी से कड़ी जोड़ने का बड़ा जरिया होती हैं. तारीखों के साए में देखिए, रूसी राष्ट्रपति पुतिन, येवगेनी प्रिगोझिन से पहले भी विद्रोहों का सामना कर चुके हैं.
1999 से हो गई थी शुरुआत इस सिलसिले की शुरुआत 1999 से ही हो गई थी. पुतिन रूस के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने थे. इसके बाद अगले एक साल में हुई बड़ी सैन्य दुर्घटना ने उन्हें सवालों के घेरे में ला दिया था. 12 अगस्त 2000 की सुबह रूस की न्यूक्लियर सबमरीन क्रुस्क समुद्र के भीतर बड़े हादसे का शिकार हो गई. पनडुब्बी में हादसे से चालक दल के सभी 118 लोग मारे गए और पुतिन की चुप्पी पर उनकी काफी आलोचना हुई.
2002: जब चेचेन विद्रोहियों ने खेला थिएटर में खूनी खेल 23 अक्टूबर 2002 को पुतिन एक बार विद्रोही संकट से घिरे. उस दिन मॉस्को के दुब्रोवका थियेटर में दर्शक नाटक देख रहे थे और रात 9 बजे के करीब अचानक हवाई फायरिंग हुई और 50 हथियारबंद हमलावरों, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, उन्होंने 850 लोगों को बंदी बना लिया. ये चेचेन विद्रोही थे. इनकी मांग थी कि रूसी सैनिक तुरंत और बिना शर्त चेचेन्या से हट जाएं, वरना वो बंधकों को मारना शुरू कर देंगे. इस हमले में 130 लोग मारे गए. इसके बाद पुतिन ने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए. रूसी कमांडो ने थियेटर के वेंटिलेशन सिस्टम से हमलवारों को शिथिल करने के लिए स्लीपिंग गैस छोड़ी. हमलावरों ने मास्क पहन रखे थे, लेकिन अफरातफरी के माहौल में कुछ महिला विद्रोही सुस्त होकर गिर गईं. सुबह 6 बजकर 33 मिनट में 200 रूसी सैनिक थियेटर में घुसे और कई हमलावरों को ढेर कर दिया गया. पुतिन ने इस तरह इस विद्रोह को कुचल दिया.
2004: दोबारा राष्ट्रपति चुने गए पुतिन साल 2004 में पुतिन एक बार फिर राष्ट्रपति चुने गए. अबकी बार उनके पास बीते पांच सालों का अनुभव था. लिहाज वह सत्ता के हर दांव-पेच को समझ चुके थे. सीधे तौर पर कहें तो उन्हें विरोध और विद्रोह को दबाने का हुनर आ गया था. इसलिए दूसरा कार्यकाल मिलते ही पुतिन ने दो काम किए पहला सिक्योरिटी सर्विस को काफी मजबूत किया और दूसरा मीडिया पर नियंत्रण साधना शुरू किया. लिहाजा, पुतिन ने कई विरोधियों को जन्म दिया, लेकिन विद्रोहों का भी वह लगातार दमन करते रहे.
मीडिया पर किया कंट्रोल एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन ने सत्ता में आने के कुछ दिन बाद ही मीडिया को कंट्रोल करना शुरू कर दिया था. सरकार ने लोगों तक जा रही जानकारी को नियंत्रित किया. इसके जरिए तीन काम किए गए. पहला, पॉपुलरिटी रेटिंग को अपने हक में दिखाना, दूसरा, नई सरकार में रूस और उसके नेता की प्रभावी छवि दिखाना, और तीसरा, 'देश के दुश्मनों' को चिह्नित कर सामने लाना. रूस में जितने भी टीवी स्टेशन हैं, उनमें से अधिकतर या तो राजनीतिक खबरें कवर ही नहीं करते हैं और जब करते हैं तो वे सरकारी नियंत्रण में होती हैं. रूस के सरकारी पैसे पर चलने वाला आरटी मीडिया ही पूरे रूस की खबरें पूरे विश्व को तक पहुंचाता है.