यूपी: विधानसभा चुनाव से पहले क्या सोचती है प्रदेश की जनता
The Wire
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में क़रीब पांच महीने बाकी हैं, लेकिन सियासी सरगर्मियां बढ़ चुकी हैं. मंत्रिमंडल परिवर्तन से लेकर राजनीतिक दलों के गठजोड़ देखने को मिल रहे हैं. पर राज्य की जनता क्या बदलाव चाहती है या वर्तमान व्यवस्था में उसका भरोसा बना हुआ है?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव वस्तुतः 2024 के लोकसभा चुनाव से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है. योगी के नेतृत्व में ये पहला प्रमुख चुनाव होगा और ये उनकी अग्निपरीक्षा तुल्य है. इसमें एक प्रबल हिंदू-पक्षधर और सख्त प्रशासक के रूप में उनकी छवि की साख दांव पर लगी है. यह चुनाव निर्धारित करेगा कि वे कभी भारत के प्रधानमंत्री बन पाएंगे या नहीं.
दूसरा, अगर भाजपा किसी भी कारण से यह चुनाव हार जाती है तो जनमानस में उनकी अपराजेयता या मोदी-शाह के चुनावी तिलिस्म का भ्रम टूट जायेगा और इसका सीधा असर 2024 के चुनाव पर पड़ेगा. दूसरे शब्दों में, उत्तर प्रदेश की हार भाजपा के लिए उलटी गिनती आरंभ कर देगी.
उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल का यह पहला अध्ययन और विश्लेषण है. हमारा मानना है कि औपचारिक सर्वे से भ्रामक परिणाम प्राप्त होते हैं क्योंकि ज़्यादातर लोग पब्लिक में किसी गर्म बहस में पड़ने से बचने के लिए सीधे सवाल पूछने पर अपने पत्ते खोलना नहीं चाहते और इसलिए ईमानदारी से जवाब नहीं देते.
इसलिए, इस अध्ययन के लिए मैंने और मेरे साथियों ने ‘एलिसिटेशन’ नामक श्रमसाध्य तकनीक का प्रयोग किया है. इसमें लोगों को बातों में उलझाकर प्रतीक्षा की जाती है कि वे असावधानी के क्षण में अपने अवचेतन की बात अनजाने में प्रकट कर दें. इस अध्ययन का उद्देश्य जनमानस में बैठी धारणाओं का पता लगाना था जिनके आधार पर वे वोट करते हैं.