
यात्री सोचते हैं महंगी टिकट के साथ एयर होस्टेस भी मुफ्त, आते-जाते घूरते हैं: फ्लाइट अटेंडेंट की कहानी
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फ्लाइट लैंड हुई ही थी, जब लोग कुर्सियों से उठने लगे. शोर मच रहा था. मेरी जूनियर ने सब्र से बैठने की अनाउंसमेंट की. इतने में किसी ने भद्दी कमेंट करते हुए उसे टच कर दिया. वो शायद 19 की रही होगी. जब तक संभल पाती, सब जा चुके थे. ये रोज की बात है. खाना परोसते हुए या आते-जाते लोग घूरते हैं. बहाने से छूते हैं. बिजनेस क्लास के कई यात्री प्रेफरेंस डालते हैं कि उन्हें ‘फ्रेश’ एयर होस्टेस चाहिए!
स्किन दमकती रहे. दांत कतार में हों. खाना परोसते या सेफ्टी रूल्स बताते हुए हाथ खूबसूरत लगें. और वजन करो तो 16 अंगूरों के बाद 17वां न चढ़े. हर कुछ वक्त में इंची-टेप से हमें खुद को मापना होता है. पेट पर एकाध ज्यादा किलो, या चेहरे पर एक छोटा उभार भी हमें फ्लाइट में जाने से रोक सकता है. एयर होस्टेस होना रोज किसी पतली रस्सी पर चलने जैसा है, जिसके नीचे गहरी खाई हो. दमभर सांस भी ली और सब खत्म.
हवाई यात्राओं की शुरुआत में फ्लाइट अटेंडेंट पुरुष ही हुआ करते थे. ज्यादातर होमोसेक्सुअल, जिनका काम था सफर कर रहे अमीर यात्रियों को खुश रखना. तीस के दशक में इसमें महिलाओं की एंट्री हुई, और फिर संख्या बढ़ने लगी.
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अनुसार, आज पूरी दुनिया में अस्सी फीसदी फ्लाइट अटेंडेंट औरतें हैं. 18 से 24 साल की लड़कियां. काम कुछ खास नहीं. चुस्त कपड़े पहनकर मुस्कुराइए, और पके-पकाए खाने की ट्रे सर्व कीजिए. साथ में दुनिया के ओने-कोनों की मुफ्त सैर. बदले में भरपूर पैसे.
लेकिन क्या वाकई एयर होस्टेस की कहानियां उतनी सुनहली हैं! या हजारों फीट ऊपर चलती इस कहानी में कुछ तीता-खारा भी है!
पड़ताल के लिए aajtak.in ने कई कोशिशें की. सोशल मीडिया पर एयर अटेंडेंट्स अपनी तकलीफें बांटती रहती हैं. लेकिन ज्यादातर विदेशी. नाम छिपाकर. या रिटायरमेंट के बाद. देसी फ्लाइट अटेंडेंट्स शायद ही कभी कुछ कहती दिखें. हमारे साथ ही यही हुआ. लोगों ने बात तो की तो लेकिन नाम बदलने की शर्त के साथ. एक को पहचान देने पर एतराज नहीं, लेकिन वे फ्लाइंग इंडस्ट्री से दूरी बना चुकी हैं.
चहक धींगरा कहती हैं- मैंने करीब चार साल तक फ्लाई किया.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

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